नयी दिल्ली : मानव विकास के ज्यादातर मानकों पर बढ़िया रिकॉर्ड रखने वाले नार्वे, फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड जैसे देशों से भारत ‘खुशहाली’ के गुर सीखेगा . प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्वीडन यात्रा के तहत भारत नार्डिक शिखर सम्मेलन के दौरान इन देशों के साथ कचरा प्रबंधन, स्टार्टअप, शिक्षा, दुग्ध उत्पादन, मछली पालन, किसान कल्याण, स्थानीय प्रशासन जैसे विषयों पर सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी .
नॉर्वे, डेनमार्क, फिनलैंड और आइसलैंड नार्डिक देशों में शामिल हैं और इन देशों का नाम मानवाधिकार, जीवनशैली, बराबरी, महिला अधिकार, मानव विकास, अपराध नियंत्रण, न्याय प्रणाली, प्रशासनिक तंत्र जैसे दर्जनों सूचकांकों में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों में अग्रणी है और पूरी दुनिया में इन्हें इस मामले में अगुआ माना जाता है .
विभिन्न विशेषज्ञ इन क्षेत्रों में भारत के रिकॉर्ड में सुधार की जरूरत बताते रहे हैं और जोर देते रहे हैं कि भारत इन देशों से बहुत कुछ सीख सकता है . प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16..17 अप्रैल को स्वीडन की यात्रा के दौरान नार्डिक देशों के शासनाध्यक्षों के साथ बैठक की . इस दौरान व्यापार और निवेश, अक्षय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, स्टार्टअप और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई . विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने ‘भाषा’ को बताया कि ये देश सिर्फ तकनीकी तौर पर दुनिया के अग्रणी देश नहीं है, बल्कि हैप्पीनेस इंडेक्स में शीर्ष स्थान पर है . वहां उच्च आय वाला समृद्ध समाज है जो गुणवत्ता और नवाचार को तवज्जो देता है.
भारत इन देशों से बहुत कुछ सीखने की इच्छा रखता है. डेनमार्क ने दुग्ध उत्पादन, मछली पालन, किसान कल्याण, पशुपालन, खाद्य प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है . प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा के दौरान भारत और डेनमार्क के बीच पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन तथा खाद्य प्रबंधन के क्षेत्र में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गए . इसके अलावा दोनों देशों ने खाद्य सुरक्षा तथा कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में भी समझौता किया .