नयी दिल्ली : सात राष्ट्रीयकृत बैंकों के समूह से लिये गये 3,695 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान नहीं करने के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को यहां अपने मुख्यालय में रोटोमैक पेन कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल से पूछताछ की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इससे पहले कोठारी से कानपुर में पूछताछ की गयी थी.
कानपुर में कोठारी का घर और उनकी कंपनी है. उन्होंने कहा कि कोठारी और उनके बेटे राहुल को एजेंसी ने यहां बुलाया था. इसकी वजह के बारे में अधिकारी ने कुछ नहीं बताया. अधिकारियों ने कहा कि कोठारी, उनकी पत्नी साधना और पुत्र राहुल सभी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक हैं. उन्होंने कथित तौर पर कर्ज में ली गयी रकम का उस उद्देश्य से इतर निवेश किया जिसके लिए वह ली गयी थी. उन्होंने कहा कि सात राष्ट्रीयकृत बैंकों के समूह में से एक बैंक ऑफ बड़ौदा ने सीबीआई से कोठारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया था, क्योंकि उसे डर था कि कोठारी देश छोड़कर जा सकते हैं. शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने 18 फरवरी को मामला दर्ज किया था.
शुरुआत में आकलन था कि घोटाला करीब 800 करोड़ रुपये का है, लेकिन सीबीआई ने जब रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के खातों की जांच शुरू की तो यह खुलासा हुआ कि कंपनी ने कथित तौर पर बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से भी कर्ज लिया है. सीबीआई ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने सात बैंकों से 2,919 करोड़ रुपये की रकम कर्ज के रूप में लेकर धोखाधड़ी की है. ब्याज की रकम और देनदारियों को जोड़ कर कंपनी के लिए कुल बकाया रकम करीब 3,695 करोड़ रुपये बैठती है.
धन शोधन संबंधी मामले की जांच के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवारको देश में भूमि, समुद्र और हवाईअड्डों में सभी निकास द्वारों को सूचित कर दिया ताकि कोठारी तथा उसके परिवार के सदस्य देश छोड़ कर नहीं जा सकें. ईडी ने इस मामले में सबूत जुटाने के लिए उन्नाव और कानपुर सहित उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर छापे भी मारे थे. प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन की रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत रोटोमैक कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ 18 फरवरी को आपराधिक आरोप लगाये. यह आरोप, सीबीआई द्वारा उसी दिन दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर लगाये गये.