नयी दिल्ली: पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने आज दिल्ली की एक अदालत में यह कहते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में घसीटने की कोशिश की कि सभी कदम उनकी ‘सहमति’ से उठाए गए थे न कि ये ‘‘उनके अकेले के’’ फैसले थे. राजा 2जी स्पेक्ट्रम मामले में मुख्य आरोपी हैं.
राजा ने विशेष सीबीआई जज ओपी सैनी को बताया, ‘‘ मैंने अकेले ढंग से एक भी निर्णय नहीं किया, बल्कि दूरसंचार विभाग के प्रस्तावों पर कार्रवाई की और प्रधानमंत्री को उचित तरीके से अवगत कराने व उनकी सहमति लेने के बाद अन्य कैबिनेट मंत्री व तत्कालीन सोलिसिटर जनरल के साथ चर्चा कर यह कार्रवाई की.’’ ‘‘ मेरी कार्रवाई आधिकारिक पद का किसी तरह से दुरपयोग नहीं है और न ही अपराध है.’’
अदालत के समक्ष दिए अपने बयान में राजा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा 2जी घोटाले की निगरानी के चलते सीबीआई को ‘पूर्वनिर्धारित तरीके’ से मामले की जांच करनी पड रही है और सरकार को जांच एजेंसी के दावे जैसा कोई नुकसान नहीं हुआ है.उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि कैग की ‘त्रुटिपूर्ण’ रिपोर्ट में पूरे मुद्दे को सनसनीखेज बनाया गया और मामले की जांच कर रहे अधिकारियों द्वारा इसमें नीति निर्माण व सरकार के कामकाज को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया. खामियों से भरी कैग रिपोर्ट में दूरसंचार विभाग के विचारों को सुने बगैर मुद्दे को सनसनीखेज बना दिया गया.’’ राजा ने कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय द्वारा मामले की जांच की निगरानी किए जाने से सीबीआई एक पूर्वनिर्धारित तरीके से मामले की जांच कर रही है और चूंकि, अभियोजन के समर्थन में कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं हैं, मौखिक साक्ष्यों में जोडतोड किया जा रहा है.’’ ‘‘ मीडिया के प्रतिकूल प्रचार ने भी मामले को मेरे खिलाफ काम किया.’’