नयी दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो के विशेष जांच दल ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि ब्यूरो के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के सरकारी आवास पर नियमित रूप से आनेवालों के बैंक खातों की जांच की जायेगी. न्यायालय ने पहली नजर में यह पाया था कि रंजीत सिन्हा ने कोयला खदान आवंटन मामलों की जांच प्रभावित करने का प्रयास किया था.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति एके सीकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष विशेष जांच दल ने इस मामले में जांच की प्रगति की रिपोर्ट पेश की. जांच दल ने कहा कि इसकी जांच में ‘समुचित प्रगति’ हुई है और इसका दायरा बढ़ाया गया है. कोयला खदान आवंटन घोटाला मामले की सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की निगरानी कर रही पीठ ने इन मामलों की जांच की धीमी प्रगति पर अप्रसन्नता व्यक्त की. पीठ ने कहा, ‘आपने हमें प्रवर्तन निदेशालय की 11 और सीबीआइ की 18 रिपोर्ट सौंपी हैं. हम यह कहना चाहेंगे कि इन मामलों की जांच धीमी है. आज भी जब हम जांच ब्यूरो की 18वीं रिपोर्ट का अवलोकन कर रहे हैं, तो इसमे यही कहा गया है कि एक मामला अभी भी लंबित हैं.’
इन घोटालों के मामलों के लिए शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक आरएस चीमा ने विशेष जांच दल की ओर से प्रगति रिपोर्ट पेश की और कहा कि रंजीत सिन्हा के आवास पर आनेवाले नियमित वाहनों का विवरण प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है. चीमा ने कहा कि जांच ब्यूरो के पूर्व मुखिया के आवास पर आनेवालों की संख्या आगंतुक डायरी में दर्ज आगंतुकों की संख्या से कहीं अधिक है और इसकी जांच चल रही है. इसी तरह आगंतुकों के वाहनों की संख्या का भी पता लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन आगंतुकों के बैक खातों का विवरण भी खंगाला जायेगा. इस मामले में काफी प्रगति हुई है और यह जांच छह महीने के भीतर पूरी जायेगी.
इस बीच, प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि उसने 13 मामलों में 600.7 करोड़रुपये की सपंत्ति तदर्थ आधार पर जब्त करने के आदेश दिये गये हैं. चीमा और निदेशालय के वकील ने पीठ को सूचित किया कि निदेशालय ने कुछ और मामले दर्ज किये हैं जिनमें ऐसा लगता है कि पहली नजर में कोई मामला नहीं बनता था. गैर सरकारी संगठन काॅमन काॅज के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें अभी तक एक भी प्रगति रिपोर्ट नहीं दी गयी है और उन्हें जांच एजेंसियों द्वारा मामलों की प्रगति के बारे में दी गयी जानकारी भी चाहिए.