नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने काले धन से संबंधित सभी मामलों की जांच के लिए आज विशेष जांच दल (एसआईटी) का पुनर्गठन किया. उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम बी शाह की अगुवाई में एसआईटी का पुनर्गठन किया गया है.
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि लीकटेंसटाइन बैंक में कथित रुप से कालाधन जमा करने के 26 मामलों से संबंधित दस्तावेज और सूचनाएं इस विषय पर जनहित याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी और दूसरे याचिकाकर्ताओं को तीन दिन के भीतर मुहैया करायी जायें.
न्यायमूर्ति एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘‘चूंकि इन मामलों में जांच पूरी हो गयी है, अब हम एक बार फिर केंद्र सरकार को निर्देश देते हैं कि सीलबंद लिफाफे में रखे गये दस्तावेज और सूचनाएं आज से तीन दिन के भीतर याचिकाकर्ताओं को मुहैया करायी जायें.’’ शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एम बी शाह को देश और विदेश में कालेधन की जांच के लिये दिशानिर्देश देने हेतु गठित विशेष जांच दल का अध्यक्ष और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरिजित पसायत को इसका उपाध्यक्ष नियुक्त किया है.
न्यायमूर्ति शाह को इससे पहले 4 जुलाई, 2011 के फैसले में इस जांच दल का उपाध्यक्ष बनाया गया था. वह न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी का स्थान लेंगे जिन्होंने व्यक्तिगत कारणों से जांच दल के अध्यक्ष के रुप में काम करने में असमर्थता व्यक्त कर दी थी.न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि इन नियुक्तियों के बारे में तीन सप्ताह के भीतर अधिसूचना जारी की जाये.केंद्र सरकार ने इससे पहले शीर्ष अदालत के 2011 के फैसले में दिये गये निर्देश का करीब तीन साल तक प्रतिरोध करने के बाद कल 18 व्यक्तियों के नामों का खुलासा किया था। सरकार ने सीलबंद लिफाफे में आठ अन्य मामलों के संबंध में कुछ व्यक्तियों के नाम न्यायालय को सौंपे हैं जिनके खिलाफ कर अपवंचना का कोई साक्ष्य नहीं मिला था.
न्यायालय वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें सरकार को जर्मनी की बैंक में खाता रखने वाले उन व्यक्तियों के नामों की जानकारी मुहैया कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था जिनके मामलों में जांच आंशिक या पूरी तरह से खत्म हो गयी है.