रायपुर: छत्तीसगढ के बस्तर जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को लेकर जा रहे एंबुलेंस को नक्सलियों द्वारा विस्फोट में उडाए जाने से पहले यदि सीआरपीएफ जवानों ने दो ग्रामीणों की ‘‘संदिग्ध गतिविधियों’’ पर नजर रखी होती तो कल हुई घटना को टाला जा सकता था. यह बात शुरुआती जांच में निकल कर सामने आई है. कल सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन के जवानों को लेकर जा रहे एंबुलेंस को नक्सलियों ने दरभा पुलिस थाने के तहत कमनार गांव में विस्फोट में उडा दिया था जिसमें पांच जवान मारे गए थे.
नाम न बताने की शर्त पर राज्य खुफिया ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘घटना की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि दरभा इलाके में सीआरपीएफ के अभियान के दौरान दो ग्रामीणों को सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन की रोड ओपनिंग पार्टी :आरओपी: पर नजर रखते देखा गया था.’’ उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ जवानों ने भी उन ग्रामीणों को देखा था पर उनकी अनदेखी कर दी थी और दरभा-जगदलपुर रोड पर अपना अभियान जारी रखा था. यह घटना उस वक्त हुई जब करीब 10 सीआरपीएफ जवान 108 संजीवनी एंबुलेंस में सफर कर रहे थे. अधिकारी ने कहा, ‘‘साफ तौर पर दोनों संदिग्धों ने निश्चित तौर पर कमनार गांव के पास अपने साथियों को सूचना दी होगी. बारुदी सुरंग धमाके कमनार गांव में हुए थे.’’