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Thursday, March 28, 2024

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मोदी और ट्रंप की मुलाकात से चिढ़ा पाकिस्तान कहा- अमेरिकी राष्ट्रपति बोल रहे हैं ”भारत की भाषा”

नयी दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ‘भारत की भाषा’ बोल रहे हैं यह कहना पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार का है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाइट हाउस में ट्रंप के साथ हुई मुलाकात के बाद इसपर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन को ‘भारत की भाषा’ […]

नयी दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ‘भारत की भाषा’ बोल रहे हैं यह कहना पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री चौधरी निसार का है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाइट हाउस में ट्रंप के साथ हुई मुलाकात के बाद इसपर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन को ‘भारत की भाषा’ बोलते देखकर पाकिस्तान की चिंता बढ़ गयी है. पाकिस्तान के डॉन अखबार में छपी एक खबर के अनुसार, निसार ने कहा, कि ऐसा लगता है कि कश्मीरियों का खून अमेरिका के लिए बिल्कुल भी अहमियत नहीं रखता है. मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए बने अंतरराष्ट्रीय कानून भी कश्मीर पर लागू नहीं होते.

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जानकारों की मानें तो मोदी की यात्रा के दौरान अमेरिका द्वारा सार्वजनिक तौर पर पाकिस्तान के अंदर पल रहे आतंकवाद का जिक्र करना पाकिस्तान के लिए काफी मुश्किलें पैदा करता नजर आ रहा है. ऐसे में पाकिस्तानी नेतृत्व ध्यान भटकाने के लिए एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उछालने की कोशिश जारी है.

मोदी के ‘ट्रंप कार्ड’ से चीन को लगी मिर्ची

मोदी और ट्रंप की मुलाकात पर प्रतिक्रिया देने के क्रम में निसार ने भारत पर कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया. पाकिस्तान ने कहा कि भारत कश्मीर के ‘स्वतंत्रता सेनानियों को आतंकवादी’ ठहराने की लगातार कोशिश कर रहा है. निसार ने कहा कि भारत की गतिविधियां हर आदर्शवादी राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है. निसार ने आगे यह भी कहा कि पाकिस्तान किसी भी सूरत में कश्मीरी आवाम के ‘अधिकारों’ का समर्थन करना बंद नहीं करेगी.

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ट्रंप पहले भी दे चुके हैं पाकिस्तान को सख्‍त संदेश
यहां उल्लेख करे दें कि जनवरी में ट्रंप के कार्यभार संभालने के बाद से ही अमेरिका कई बार संकेत दे चुका है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को दी जा रही मदद पर वह सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. जब ट्रंप ने कुछ मुस्लिम-बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था, तब उस सूची में पाकिस्तान को भी शामिल किये जाने के कयास लगाये जा रहे थे. इस खबर के बाद ही पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सरगना हाफिज सईद पर कार्रवाई करते हुए उसे नजरबंद किया था. हालांकि उसके बाद भी पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकी हमले के लिए किया गया. जिस तरह पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन भारत और अफगानिस्तान में आतंकी हमलों को अंजाम देते रहे, उसपर दोनों ही देशों ने लगातार अपना विरोध व्यक्त किया.
पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी
जानकारों की मानें तो मोदी और ट्रंप की पहली मुलाकात पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी के तौर पर देखी जा सकती है. बैठक से पहले अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने जहां हिजबुल मुजाहिदीन के आंतकी सरगना सैयद सलाउद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर उसपर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, तो वहीं इस बैठक के बाद दोनों नेताओं द्वारा जारी किये गये साझा बयान में पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया गया. पाकिस्तान से कहा गया कि वह सीमा-पार आतंकवाद प्रायोजित करना बंद करे. इस साझा बयान में 26/11 और पठानकोट हमले का भी उल्लेख था जिसमें पाकिस्तान से कहा गया कि वह इन हमलों के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाकर उन्हें जल्द से जल्द सजा दे. ये सारी बातें पाकिस्तान के लिए ट्रंप प्रशासन द्वारा अपनाये जा रहे कड़े रुख की ओर इशारा करती हैं.
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