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हॉबी बना इनकम सोर्स, कबाड़ से रच रही हैं सुंदर संसार

सबके अपने शौक और जुनून होते हैं, लेकिन जब किसी का शौक और जुनून देश-दुनिया की किसी समस्या का समाधान बनने लगे, तो ऐसा करनेवाले को सलाम करने का मन करता है. झांसी में रहनेवाली नीलम सारंगी का शौक है चित्रकारी, बागवानी और इंटीरियर डेकोरेशन. अपने इन शौकों को आपस में मिला कर वह पर्यावरण […]

सबके अपने शौक और जुनून होते हैं, लेकिन जब किसी का शौक और जुनून देश-दुनिया की किसी समस्या का समाधान बनने लगे, तो ऐसा करनेवाले को सलाम करने का मन करता है. झांसी में रहनेवाली नीलम सारंगी का शौक है चित्रकारी, बागवानी और इंटीरियर डेकोरेशन. अपने इन शौकों को आपस में मिला कर वह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार काम कर रही हैं. इसके लिए वह वेस्ट मटीरियल का यूज करती हैं.
कोई भी चीज़ बेकार नहीं
चाहे मिठाई के डिब्बे हों, पुराने जूते-चप्पल हों, खराब टायर, जूस के कंटेनर, प्लास्टिक की बोतलें, पेंट के डिब्बे, टूटे हुए मर्तबान, कांच की बोतलें, पुराने बर्तन, बाल्टियां, थर्माकोल के डिब्बे यहां तक कि पुराने कपड़े, यहां तक कि पत्थर ही क्यों न हों- नीलम के घर में कोई भी चीज फेंकी नहीं जाती.
वह अपने दिमाग और कलाकारी को आपस में मिला कर इन्हीं चीजों से सुंदर कलाकृतियों का निर्माण कर डालती हैं. उनके घर की छत पर बागवानी के आकर्षक नमूने देखने को मिलते हैं. लोग बाग खासतौर से उनके घर की सजावट देखने आते हैं और तारीफ करते नहीं थकते. कुल मिला कर उनका घर एक बेहद शौकीन और पर्यावरण को लेकर बहुत गंभीर शख्स का नजर आता है. साथ ही हम सबको भी ऐसा कुछ करने की प्रेरणा देता है.
यहां सब कुछ प्राकृतिक है
कृत्रिम चीजों और रासायनों में नीलम का विश्वास नहीं है. वह हर चीज़ को प्राकृतिक तरीके से करती हैं. बागवानी के लिए वह न सिर्फ जैविक खाद और जैविक दवाइयों का उपयोग करती हैं, बल्कि इन्हें खुद ही बनाती हैं. पेड़-पौधों को होनेवाली बीमारियों का घरेलू इलाज भी वह खुद करती हैं. बहुत कम लागत में उन्होंने अपने यहां किचन गार्डन बना रखा है.
निभा रही हैं अपनी जिम्मेदारी
नीलम लोगों से अपील करती हैं कि कुछ भी फेंकें मत. उसके सदुपयोग के तरीके तलाशें. इससे तीन फायदे हैं- पहला, पैसे की बचत होगी; दूसरे, डेकोरेशन में उसका प्रयोग करने से घर/ऑफ़िस की सुंदरता बढ़ेगी और तीस इससे पर्यावरण का नुकसान नहीं होगा. उनका कहना है- ”आजकल नित नये मशीनों के आविष्कार और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है.
ऐसे में अगर हम अपने-अपने स्तर पर जिम्मेदारी ले लें, तो भी हम सबकी कोशिशें स्थिति में बड़ा और सकारात्मक अंतर ला सकती हैं. आजकल इंटरनेट पर ऐसे कितने ही वीडियो उपलब्ध हैं, जिनसे बेकार पड़ी चीजों का सदुपयोग सीखा जा सकता है और इनमें अलग-से कोई ज्यादा खर्च भी नहीं लगता.
सिखाती हैं दूसरों को भी
वेस्ट मैटीरियल के सदुपयोग का यह काम नीलम लगभग 8-10 सालों से कर रही हैं. बीएससी के बाद भोपाल में भारत-भवन और एक आर्ट कॉलेज से जुड़ कर उन्होंने अपनी कला को निखारा. इस बीच उनकी शादी भी हो गयी.
उन्होंने नशा, दहेज जैसी समस्याओं पर पेंटिंग शो भी किये हैं. विभिन्न प्रदेशों की कला जैसे लिप्पन आर्ट, मुखौटा, मार्बल आर्ट, आदि भी वे बखूबी कर लेती हैं.
उन्होंने पॉटरी मेकिंग का कोर्स भी किया है. बागवानी का शौक उनमें उनके घर के माली ने जगाया. पर्यावरण को बेहतर बनाने की इस मुहिम में नीलिमा अपने साथ दूसरों को भी जोड़ने की कोशिश करती रहती हैं. समय-समय पर बच्चों को निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण भी देती हैं.

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