कोलकाताः शनिवार (5 जून) को पर्यावरण दिवस है. बहुत सारे लोग पौधे लगाकर फोटो खींचते और सोशल मीडिया पर डालते हैं. यह ठीक है. पर क्या यही काफी है?
नहीं. सिर्फ पौधे लगाना ही पर्यावरण प्रेम नहीं है. इन दिनों काफी गर्मी पड़ती है. पर्यावरण दिवस के नाम पर लगाये जाने वाले अधिकतर पौधे सूख जाते हैं. इसके अतिरिक्त कई और भी तरीके हो सकते हैं, पर्यावरण दिवस मनाने के.
गंगा मिशन के सचिव प्रह्लाद राय गोयनका ने इस बारे में लोगों से अपील की है कि वे थोड़ा अलग हटकर सोचें और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान करें. कई कदम बहुत छोटे लगते हैं, पर वे काम के हो सकते हैं. वे फर्क डालते हैं.
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अगर हम पुराने पेड़ों को पानी देते हैं, चाहे वो किसी ने भी लगाये हों, तो रोज ही हम पर्यावरण दिवस मना रहे होते हैं.
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हम इस दिन संकल्प लें कि कभी भी सिंगल यूज प्लास्टिक की वस्तुएं इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो भी मान लें कि हम पर्यावरण दिवस मना रहे हैं. इसे रोजमर्रा की जिंदगी में लागू कर दें, तो रोज होगा पर्यावरण दिवस.
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आप इस दिन संकल्प लें कि आगे से कभी भी पानी बेकार नहीं करेंगे, तो भी आपकी तरफ से यह पर्यावरण दिवस जैसा ही होगा. इससे भी हमारे पर्यावरण का उपकार होगा.
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यदि आप पेड़ों में लगे कील-कांटे हटाकर उन्हें बचाने में लगे हों, तो भी निश्चित रूप से मान लीजिये कि आप पर्यावरण दिवस मना रहे हैं.
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यदि आप निश्चय करते हैं कि इस दिन आप हमेशा बाजार के लिए अपना थैला इस्तेमाल करेंगे न कि पॉलीथिन, तो समझ लीजिए कि आप भी पर्यावरण प्रेमी हैं.
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अगर आप अपने किचन के कचड़ा और सूखे पत्ते बाहर न फेंककर उनकी खाद बना लेते हैं, तब भी आप पर्यावरण संरक्षण में दुनिया का साथ दे रहे होते हैं.
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अगर आप अपने मंदिर व पूजा स्थलों से बाहर निकले सामान नहरों ,नदियों व तालाबों में न बहा कर सही तरीके से उनका डिस्पोजल करते हैं, तो भी आप पर्यावरण प्रेमी ही हैं
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यदि आप पार्टी में जाते हैं और पेपर नैपकिन की जगह अपना रुमाल इस्तेमाल करते हैं, तो भी माना जायेगा कि आप पर्यावरण के हित की लड़ाई में एक योद्धा की भूमिका में हैं.
Posted By: Mithilesh Jha