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Summer Health Tips : गर्मियों में प्राकृतिक रूप से ठंडा रहने के लिए करें शीतली प्राणायाम

शीतली प्राणायाम, जिसे कूलिंग ब्रीथ के रूप में भी जाना जाता है. यह एक सरल, लेकिन प्रभावशाली श्वास तकनीक है, जो शरीर, दिमाग और भावनाओं को ठंडा करने में मदद करती है.

Summer Health Tips: आजकल गर्मी का मौसम अपने चरम पर है. आयुर्वेद के अनुसार, यह पित्त का मौसम है. इसका मतलब है कि अग्नि और जल तत्व अपने चरम पर हैं, जिससे शरीर में अतिरिक्त गर्मी का अहसास होता है. यह अतिरिक्त गर्मी अलग-अलग तरीकों से महसूस हो सकती है, जिसमें सूजन, एसिड अपच, त्वचा पर चकत्ते और यहां तक ​​कि भावनात्मक उत्तेजना भी शामिल हैं. मगर चिलचिलाती गर्मी से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. आयुर्वेद में कई प्राचीन योग तकनीक के बारे में बताया गया है, जो आपको प्राकृतिक रूप से ठंडा रहने में मदद कर सकती हैं. उन्हीं में से एक है-शीतली प्राणायाम. शीतली प्राणायाम, जिसे कूलिंग ब्रीथ के रूप में भी जाना जाता है. यह एक सरल, लेकिन प्रभावशाली श्वास तकनीक है, जो शरीर, दिमाग और भावनाओं को ठंडा करने में मदद करती है. संस्कृत शब्द “शीत” से उत्पन्न, जिसका अर्थ है ठंडा. शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से मन और शरीर शांत रहता है.

ऐसे काम करता है शीतली प्राणायाम

जब आप शीतली प्राणायाम का अभ्यास करते हैं, तो आप शरीर में एक नेचुरल इवैपरेशन कूलिंग सिस्टम को एक्टिवेट करते हैं. यह अतिरिक्त गर्मी को खत्म करने में मदद करता है, जिससे आप ठंडक और तरोताजा महसूस करते हैं. शीतली प्राणायाम पाचन अग्नि को भी प्रज्वलित करता है और पाचन को दुरुस्त रखता है. इस तरह यह कई मामलों में आपके शरीर के लिए फायदेमंद है.

शीतली प्राणायाम के फायदे

-अतिरिक्त पित्त दोष को संतुलित करता है
-शरीर को ठंडा करता है और अतिरिक्त गर्मी को दूर करता है
-पाचन क्रिया को सुधारता है और एसिडिटी को कम करता है

  • सूजन वाली त्वचा की स्थिति को शांत करता है
    -पूरे शरीर में सूजन को शांत करता है
    -मानसिक शांति को बढ़ावा देता है और तनाव कम करता है
    -शरीर में प्राण (जीवन शक्ति ऊर्जा) के प्रवाह को बढ़ाता है
    -इम्युनिटी को बढ़ाता है और बुखार को कम करता है
  • पेट के दर्द को कम करता है और ब्लड प्रेशर को कम करता है

ऐसे करें शीतली प्राणायाम का अभ्यास

सबसे पहले आप आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं और अपने पूरे शरीर को आराम दें. यदि आप अपनी जीभ को घुमा सकते हैं, तो अपनी जीभ को बाहर निकालें और एक ट्यूब बनाने के लिए किनारों को ऊपर की ओर घुमाएं. मुड़ी हुई जीभ से धीरे-धीरे श्वास लें. वहीं, अगर आप अपनी जीभ को घुमा नहीं सकते (शीतकारी), तो अपनी जीभ को चपटा करें और इसे धीरे से अपने दांतों के बीच पकड़ें, जिससे सांस जीभ के किनारों और मुंह के कोनों से गुजर सके. अब अपने पेट, पसलियों और छाती को ठंडी हवा से भरते हुए गहरी सांस लें. बिना किसी तनाव के श्वास के शीर्ष पर कुछ पल के लिए अपनी सांस रोकें. अब नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें. इस प्राणायाम को 7 से 15 बार राउंड तक जारी रखें. जैसे-जैसे आप अभ्यास के साथ अधिक सहज होते जाते हैं, धीरे-धीरे इसे बढ़ाते जाएं. अंत में अपने अभ्यास को बंद करने के लिए नाक के छिद्रों से एक लंबी, आरामदायक सांस अंदर और बाहर लें.

शीतली प्राणायाम करने से बचें ये लोग

-यदि आपको लो ब्लड प्रेशर, सांस संबंधी परेशानी, पुराना कब्ज या हृदय रोग है, तो शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से बचें.
-अगर आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं, जहां पर्यावरण प्रदूषण अधिक है, तो इस प्राणायाम का अभ्यास से बचें, वरना उल्टे नुकसान हो सकता है.

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