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‘फैंटसी बॉन्ड’ प्रेम संबंध का टूटना बनता है आत्महत्या का कारण

-इंटरटेनमेंट डेस्क- टीवी एक्ट्रेस प्रत्युषा बनर्जी ने आत्महत्या कर ली. यह खबर ना सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि समाज के सामने कई सवाल भी खड़े करती है. आखिर क्यों इस 24 साल की युवती ने यह कदम उठाया. क्या वह जिंदगी से इतनी बेजार हो चुकी थी कि उसने मौत को गले लगा लिया. मौत […]

-इंटरटेनमेंट डेस्क-

टीवी एक्ट्रेस प्रत्युषा बनर्जी ने आत्महत्या कर ली. यह खबर ना सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि समाज के सामने कई सवाल भी खड़े करती है. आखिर क्यों इस 24 साल की युवती ने यह कदम उठाया. क्या वह जिंदगी से इतनी बेजार हो चुकी थी कि उसने मौत को गले लगा लिया. मौत जीवन में स्वाभाविक है, लेकिन मौत से इस कदर प्रेम की जिंदगी चौंक जाये.

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सेलिब्रेटी जिन्होंने की आत्महत्या

ग्लैमर वर्ल्ड में इस तरह की घटनाएं ज्यादा होती हैं. जिया खान, दिशा गांगुली, शिक्षा जोशी, रूबी सिंह, कामसूत्र कंडोम की चर्चित मॉडल विवेका बाबाजी, स्लिक स्मिता और ना जाने कितने नाम हमें इस फेहरिस्त में मिल जायेंगे, जो अपनी जिंदगी से हार गये. इनके अलावा भी कई ऐसी सेलीब्रिटी हैं, जिनकी मौत पर से रहस्य का पर्दा नहीं हटा या फिर जो अवसादग्रस्त होकर मौत की आगोश में समा गये. कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर, बॉलीवुड एक्ट्रेस दिव्या भारती एवं परवीन बॉबी का नाम यहां प्रमुखता से लिया जाता है. हॉलीवुड की सेक्स सिंबल मार्लिन मुनरो जिनके दीवाने देश-विदेश में मौजूद थे, उन्होंने भी आत्महत्या कर ली थी.

ब्रेकअप बनता है आत्महत्या का कारण

आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या का कारण अकसर ब्रेकअप बनता है. प्रेम संबंधों में मिले धोखे के बाद लोग खुद को संभाल नहीं पाते और अवसादग्रस्त हो जाते हैं. बाद में या तो वे आत्महत्या कर लेते हैं या फिर जिंदगी से बेजार हो कर समाज से कट जाते हैं.

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ब्रेकअप के पीछे का मनोविज्ञान

मनोविज्ञान का मानना है कि ‘ब्रेकअप’ लोगों को इसलिए बहुत दुखित करता है क्योंकि यह उनके ‘फैंटसी बॉन्ड’ का अंत होता है.एक ऐसा संबंध जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से जुड़े होते हैं, उसके खो जाने का डर उन्हें परेशान कर देता है और वे दुख के सागर में डूब जाते हैं. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जब दो इंसान ‘फैंटसी बॉन्ड’ में होते हैं, तो वे ऐसा महसूस करते हैं कि वे सुरक्षित हैं और अपने आसपास सुरक्षा की दीवार महसूस करते हैं, ऐसे में जब वह ‘बॉन्ड’ टूटता है, तो वे खुद को संभाल नहीं पाते है इसका कारण यह है कि उन्हें लगता है कि वे अब सुरक्षित नहीं, कोई दुनिया में उनका नहीं. यह सोच इंसान को इस कदर बेचैन कर देता है कि वे आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं.

आत्महत्या समस्याओं का समाधान नहीं

विगत कुछ वर्षों में खासकर युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति काफी बढ़ी है. अगर हमारे समाज में सिर्फ एक प्रत्युषा हो, तो स्थिति दुखद तो है, लेकिन अलार्मिंग नहीं, लेकिन हमारे समाज में तो कई प्रत्युषा हैं. इनमें परिस्थितियों से जूझने का जज्बा समाप्त सा हो गया है. बात चाहे आर्थिक परेशानी की हो, कैरियर की हो या फिर प्रेम संबंधों में खटास की, आत्महत्या कभी भी उसका समाधान नहीं हो सकता. लेकिन कई लोग परिस्थितियों से जूझ नहीं पाते और आत्महत्या कर लेते हैं.

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