मुंबई : साहिर लुधियानवी उन चुनिंदा शायरों में से हैं, जिन्होने फिल्मी गीतों को तुकबंदी से निकाल कर दिलकश शेरों शायरी की बुलंदियों तक पहुंचाया. साहिर अपनी शर्तों पर जीने वाले फनकार माने जाते रहे हैं. क्या किसी चीज से साहिर डरते भी थे, तो हां साहिर को लिफ्ट इस्तेमाल करने से डर लगता था.
जब भी यश चोपड़ा उन्हें किसी संगीतकार के साथ काम करने की सलाह देते, तो वो उस संगीतकार की योग्यता उसके घर के पते से मापते थे़ वे साफ तौर पर कहते- ‘अरे वह ग्यारहवीं मंजिल पर रहता है…उसे जाने दीजिए, छोड़िए़ इसको लीजिए…यह ग्राउंड फ्लोर पर रहता है.’
मजे की बात है यह कि यश चोपड़ा भी साहिर की बात मान लिया करते थे. लिफ्ट की ही तरह साहिर को जहाज पर चढ़ने से डर लगता था़ जहां तक हो सके, उनकी कोशिश होती थी कि वो कम-से-कम हवाई जहाज का इस्तेमाल करें. वो हर जगह कार से जाते थे़ उनके पीछे एक और कार चला करती थी कि कहीं जिस कार में वो सफर कर रहे हैं, खराब न हो जाये़ ऐसे में वह दूसरी कार की मदद से गंतव्य तक पहुंच सकें.