।। उर्मिला।।
फिल्म: कुकू माथुर की झंड हो गयी
निर्देशक : अमन सचदेवा
निर्माता: एकता कपूर, शोभा कपूर और बिजॉय नांबियार
संगीत: पलास सेन
कलाकार: सिद्धार्थ गुप्ता, सिमरन कौर मुंडी और सिद्धार्थ भारद्वाज
रेटिंग: दो
एकता कपूर और बिजॉय नांबियार की निर्माता जोड़ी दिल्ली के फ्लेवर और कलेवर में यारी दोस्ती की कहानी को कुकू माथुर की झंड़ हो गयी से कहने की कोशिश की है. कुकू (सिद्धार्थ गुप्ता) बिना मां का बच्च है. उसके सपने बड़े हैं. वह अपना रेस्टोरेंट शुरु करना चाहता है लेकिन उसके पास पैसे नहीं है. इसी बीच जब वह अपने बचपन के दोस्त रॉनी (सिद्धार्थ भारद्वाज)को कपड़ो की दुकान संभालते और खुद की अनदेखी करता पाता है तो उसे अपने दोस्त रॉनी से जलन होने लगती है.
वह रॉनी और उसके परिवार से बदला लेनी की सोचता है. इसमे कुकू की मदद उसका चचेरा भाई प्रभाकर (अमित) करता है. वह रॉनी के गोदाम के कपड़ों का बेचकर उसमे आग लगा देता है और उन पैसों से कुकू रेस्टोरेंट शुरु करता है.उसे तरक्की पर देख रॉनी बहुत खुश होता है और यही बात कुकू को बहुत बुरी लगती है. उसे अपनी गलती का एहसास होता है. वह रॉनी से अपनी गलती की माफी का फैसला करता है. क्या रॉनी उसे माफ कर पाएगा. यही आगे की कहानी है. फिल्म की कहानी कुछ खास नहीं है. हां अलग अलग किरदारों द्वारा फिल्म में हास्य का पुट अच्छा डाला गया है.
जागरण सीजन टू, फेसबुक का प्यार और निर्मल बाबा यह पहलू फिल्म के खास है जो गुदगुदाते है. फिल्म के ज्यादातर कलाकार नए है. सभी ने अपना काम ठीक ठाक किया है. परफॉर्मेस के लिहाज से प्रभाकर, निर्मल बाबा,बिहारी वॉचमैन, और उसकी पत्नी का किरदार ज्यादा रोचक है. कुलमिलाकर यह युवा फिल्म है. फिल्म का ट्रीटमेंट उसी अंदाज में किया गया है लेकिन यह फिल्म टुकड़ों में मनोरंजन करती है.