नयी दिल्ली : गुरुवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह की शुरुआत विवाद के बीच हुई. वजह यह बतायी जा रही है कि इस बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंदकेवल 11 विजेताओं को ही सम्मानित कर रहे हैं. ऐसे में पुरस्कार प्राप्त करने वाले 60 से ज्यादा विजेताओं ने समारोह का बहिष्कार कर दिया है और अपनी नाराजगी जतायी है.
समारोह का बहिष्कार करनेवाले झारखंड के फिल्मकार मेघनाथ ने पूरे घटनाक्रम पर रोष व्यक्त करते हुए कहा, अगर राष्ट्रपति के पास समय नहीं था तो हमें पहले ही बता दिया होता. हम यहां नहीं आते और इससे हमारा भी समय भी बचता.
मेघनाथ ने कहा कि राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने की 65 साल से चली आ रही परंपरा को तोड़ा गया है, जिसको लेकर उनका विरोध है. उन्होंने कहा कि हम कोई कमर्शियल फिल्मकार नहीं हैं. फिल्म बनाने में सालों लगते हैं और राष्ट्रपति के पास हमारे लिए एक मिनट नहीं है. ऐसे में हमने पुरस्कार समारोह का बहिष्कार किया.
मालूम हो कि झारखंड के फिल्मकार मेघनाथ और बीजू टोप्पो की डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘नाची से बांची’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. इसका निर्माण फिल्म्स डिविजन ने कराया है. बेस्ट बायोग्राफिकल हिस्टोरिकल रिकंस्ट्रक्शन श्रेणी में फिल्म को यह सम्मान मिला है.
President should present us the award that is our right. It is a tradition of President giving the award. It takes years to make a film. And it takes a minute for the President to present the award: Meghnath, Filmmaker on not accepting #NationalFilmAwards pic.twitter.com/s81jtBN4w0
— ANI (@ANI) May 3, 2018
बहरहाल, इस मुद्दे पर फिल्मकार हंसल मेहतासेलेकर राष्ट्रीयपुरस्कार विजेता मराठी फिल्म निर्देशक प्रकाश ओक, फिल्मकार अश्विनी चौधरी ने नाराजगी जतायी है. इन्होंने आज के दिन को काला दिन बताते हुए कहा है, अवार्ड विजेताओं को राष्ट्रपति अवार्ड नहीं देंगे, ऐसा 65 साल में पहली बार हो रहा है. 141 में सिर्फ 11 को राष्ट्रपति कोविंद खुद अवार्ड प्रदान करेंगे.
वहीं, ऑस्कर विजेता साउंड आर्टिस्ट रेसुल पुकुट्टी ने ट्वीट कर कहा- अगर भारत सरकार हमारे सम्मान में अपना तीन घंटे का समय भी नहीं दे सकती, तो उन्हें हमें राष्ट्रीय पुरस्कार देने की जहमत नहीं उठानी चाहिए. हमारे 50 फीसदी से ज्यादा पसीने की कमाई आप मनोरंजन कर के रूप में ले लेते हैं, हमारी जो प्रतिष्ठा है, कम से कम उसका तो सम्मान कीजिए.
मालूम हो कि 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के विजेताओं को बुधवार को यह सूचना दी गयी कि पुरस्कार पाने वाले लोगों में अधिकतर को सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी सम्मानित करेंगी, जबकि केवल 11 को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जायेगा.
राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होंगे ये कलाकार-
- दादासाहेब फाल्के पुरस्कार : विनोद खन्ना
- बेस्ट फीचर फिल्म : विलेज रॉकस्टार
- बेस्ट एक्ट्रेस : श्रीदेवी (मॉम)
- बेस्ट एक्टर : रिद्धि सेन (नगरकीर्तन)
- बेस्ट डायरेक्टर : नागराज मंजुले
- सिनेमा पर बेस्ट बुक : मातामगी मनीपुर
- बेस्ट जसारी फिल्म : सिंजर
- बेस्ट डायरेक्शन : जयराज
- बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर : केजे यसुदास
- बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन : एआर रहमान
- राष्ट्रीय एकता पर बनी फीचर फिल्म को नर्गिस दत्त अवॉर्ड : धप्पा
बताते चलें कि देश भर के कलाकारों ने इस घटनाक्रम पर फिल्म महोत्सव निदेशालय, भारत के राष्ट्रपति कार्यालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जतायी है. पत्र में लिखा गया है, यह भरोसे के टूटने जैसा लगता है जब अत्यधिक प्रोटोकॉल का पालन करने वाला एक संस्थान/समारोह हमें बिना पूर्व सूचना दिये समारोह के इस महत्वपूर्ण आयाम की सूचना देने में विफल रहता है. यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि 65 साल से चली आ रही परंपरा को एक पल में बदला जा रहा है.