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मोबाइल और कार्ड के जरिये मिली ऑफलाइन पेमेंट की छूट, जानिए कैसे करेंगे भुगतान और किसे होगा सबसे अधिक फायदा…?

Offline payment relaxation : आरबीआई ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में पायलट प्रोजेक्ट के तौर बिना इंटरनेट के भी कार्ड और मोबाइल के जरिये ऑफलाइन पेमेंट करने की छूट देने का फैसला किया है. इसके साथ ही, उसने इसके लिए एक छोटी सी शर्त भी रख दी है और वह यह कि बिना इंटरनेट के ऑफलाइन पेमेंट करने के दौरान बड़ी राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता है. यानी केवल काम चलाने भर तक की राशि का भुगतान किया जा सकता है. आइए, जानते हैं कि आरबीआई के इस फैसले से किन लोगों को सबसे अधिक फायदा होगा और कैसे करेंगे ऑफलाइन पेमेंट...?

Offline payment relaxation : आरबीआई ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में पायलट प्रोजेक्ट के तौर बिना इंटरनेट के भी कार्ड और मोबाइल के जरिये ऑफलाइन पेमेंट करने की छूट देने का फैसला किया है. इसके साथ ही, उसने इसके लिए एक छोटी सी शर्त भी रख दी है और वह यह कि बिना इंटरनेट के ऑफलाइन पेमेंट करने के दौरान बड़ी राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता है. यानी केवल काम चलाने भर तक की राशि का भुगतान किया जा सकता है. आइए, जानते हैं कि आरबीआई के इस फैसले से किन लोगों को सबसे अधिक फायदा होगा और कैसे करेंगे ऑफलाइन पेमेंट…?

आरबीआई ने क्या किया फैसला और क्या है शर्त?

आरबीआई ने गुरुवार को पायलट आधार पर ‘ऑफलाइन’ यानी बिना इंटरनेट के कार्ड और मोबाइल के जरिये छोटी राशि के भुगतान की अनुमति दी है. इसके तहत, किसी भी व्यक्ति को एक बार में 200 रुपये तक भुगतान की अनुमति होगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऐलान करते हुए कहा कि इस पहल का मकसद उन जगहों पर भी डिजिटल लेनदेन के लिए ग्राहकों को प्रोत्साहित करना है, जहां इंटरनेट से संपर्क की कनेक्टिविटी कम है. आरबीआई की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, पायलट प्रोजेक्ट के तहत ‘पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर’ (पीएसओ) (बैंक और गैर-बैंक) ऑफलाइन डिजिटल पेमेंट की पेशकश कर सकते हैं. यानी इस तरह से भुगतान के लिए इंटरनेट से संपर्क करने की जरूरत नहीं होगी.

कैसे किया जाएगा ऑफलाइन पेमेंट?

केंद्रीय बैंक की अधिसूचना के अनुसार, पायलट प्रोजेक्ट के तहत भुगतान कार्ड, वॉलेट या मोबाइल उपकरणों या अन्य किसी माध्यम से किया जा सकता है. इसके लिए किसी अन्य प्रकार के वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होगी. इसमें एकल भुगतान की अधिकतम सीमा 200 रुपये की होगी. हालांकि, इसके जरिये किसी भी समय 2,000 रुपये तक कुल भुगतान की सीमा होगी. ‘ऑनलाइन’ तरीके से अतिरिक्त वेरिफिकेशन के साथ सीमा को दोबारा निर्धारित किया जा सकता है. आरबीआई की यह पायलट प्रोजेक्ट 31 मार्च, 2021 तक चलेगी.

पीएसओ से ऑफलाइन पेमेंट के क्या हैं नियम?

आरबीआई के अनुसार, पीएसओ से सौदा होते ही यूजर्स को लेनदेन राशि के बारे में वास्तविक आधार पर सूचना उपलब्ध कराएगा. केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि ‘पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर’ (पीएसओ) को ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) लागू करना होगा. डिजिटल लेनदेन बढ़ने के साथ विवाद और शिकायतें भी बढ़ी हैं.

छोटी राशि के ट्रांजेक्शन की क्यों रखी गयी शर्त?

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘केंद्रीय बैंक इकाइयों को ‘ऑफलाइन भुगतान समाधान विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करता रहा है. इसीलिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत यूजर्स के हितों और देनदारी सुरक्षा आदि का ध्यान रखते हुए ‘ऑफलाइन’ माध्यम से अंतर्निहित सुविधाओं के साथ छोटी राशि के भुगतान की अनुमति देने का प्रस्ताव है.

आरबीआई ने ऑफलाइन भुगतान की क्यों दी अनुमति?

आरबीआई ने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट का अभाव या उसकी कम स्पीड डिजिटल पेमेंट के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है. इसको देखते हुए कार्ड, वॉलेट और मोबाइल उपकरणों के माध्यम से ऑफलाइन भुगतान का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे डिजिटल पेमेंट को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इसमें शिकायतों के समाधान की यह व्यवस्था नियम आधारित और पारदर्शी होगी. इसमें किसी आदमी का हस्तक्षेप नहीं होगा या अगर होगा भी तो बहुत कम. इस पहल का मकसद विवादों और शिकायतों का समय पर और प्रभावी तरीके से निपटान करना है.

विवाद और शिकायतों के निपटारे का भी है प्रावधान

केंद्रीय बैंक के अनुसार, ‘पीएसओ को चरणबद्ध तरीके से ओडीआर व्यवस्था स्थापित करनी होगी. इसकी शुरुआत पीएसओ को अपने संबंधित भुगतान प्रणाली में विफल लेनदेन से करनी होगी. इस बारे में प्राप्त अनुभव के आधार पर ओडीआर व्यवस्था अन्य प्रकार के विवाद और शिकायतों में लागू की जाएगी. ओडीआर को लेकर जारी अधिसूचना के अनुसार ग्राहकों को विवाद या शिकायतें दर्ज कराने को लेकर एक या एक से अधिक माध्यम उपलब्ध कराया जाना चाहिए. इसमें वेब आधारित या कागज आधारित शिकायत फॉर्म, आईवीआर, मोबाइल एप्लीकेशन, कॉल सेंटर, एसएमएस आदि शामिल हैं.

Posted By : Vishwat Sen

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