नयी दिल्ली : सरकार ने कालेधन को लेकर आक्रामक रूख बरकरार रखा है. नोटबंदी के वक्त सरकार पर राजनीतिक दलों के चंदे पर लगाम लगाने की बात कही गयी थी. चुनाव आयोग की सिफारिशों को मानते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजनीतिक दलों को कैश के रूप में मिलने वाले चंदे को 2,000 रुपये तक सीमित कर दिया है. समझा जा रहा है कि सरकार के इस कदम से राजनीति में आर्थिक पारदर्शिता आयेगी. हालांकि राजनीतिक फंडिग से पैदा भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए इसे पहला कदम ही माना जा सक है.
सरकार ने आज तीन लाख रुपये से ज्यादा कैश ट्रांजैक्शन पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार के इस कदम से पैसे का हिसाब रख पाना संभव होगा. इस साल की शुरुआत में सरकार ने 50,000 रुपये से ज्यादा ज्वेलरी की खरीद पर पैन कार्ड को जरूरी कर दिया था.वहीं सरकार ने घोषणा की है कि तीन लाख की सलाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. पांच लाख की सलाना आमदनी पर आयकर दस प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया गया है. सरकार के इस फैसले से टैक्स चोरी में कमी होगी.
ज्ञात हो कि भारत में टैक्स चुकाने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का बेहद कम है. टैक्स एक्सपर्ट का मानना है कि लोग आयकर में चोरी इसलिए करते हैं कि यहां कमाई का बड़ा हिस्सा आयकर के रूप में चुकाना होता है. आयकर की सीमा में मिली छूट से ज्यादा लोगों को टैक्स नेट में शामिल किया जा सकेगा.
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