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रेट कट नहीं करने के रिजर्व बैंक के फैसले से बैंकिंग सेक्‍टर निराश, बाजार धारणा प्रभावित

मुंबई : बैंकों ने जहां बढ़ी हुई जमा राशि पर 100 प्रतिशत नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) सप्ताहांत से वापस लेने के रिजर्व बैंक के कदम की सराहना की है वहीं कुछ बैंकरों ने नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के निर्णय पर निराशा जतायी. बैंक प्रमुखों ने यह भी कहा कि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी […]

मुंबई : बैंकों ने जहां बढ़ी हुई जमा राशि पर 100 प्रतिशत नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) सप्ताहांत से वापस लेने के रिजर्व बैंक के कदम की सराहना की है वहीं कुछ बैंकरों ने नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के निर्णय पर निराशा जतायी. बैंक प्रमुखों ने यह भी कहा कि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी को देखते हुए कर्ज एवं जमा पर ब्याज दरों में आगे और कमी आ सकती है. पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा जबकि इसमें 0.25 प्रतिशत कटौती की व्यापक उम्मीद की जा रही थी.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरुंधत्ती भट्टाचार्य ने टेलीविजन चैनल सीएनबीसी टीवी 18 से कहा, ‘मुझे लगता है कि वास्तव में नीतिगत दर में तुरंत कटौती इस लिहाज से कोई बहुत महत्वपूर्ण नहीं थी, क्योंकि बैंक वास्तव में रिटर्न में गिरावट के अलावा बाजार उधारी पर बहुत अधिक निर्भर नहीं हैं. लेकिन यदि यह होता तो इसका निश्चित रूप से धारणा पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता. इस लिहाज से मुझे लगता है कि बाजार थोड़ा निराश है.’

आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यपालक अधिकारी चंदा कोचर ने कहा कि रिजर्व बैंक ने मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति के लक्ष्य ध्यान देने के साथ-साथ वृद्धि को मदद देते हुए मौद्रिक नीति में स्थिरता बनाये रखी.’ उन्होंने कहा, ‘मौद्रिक नीति में वैश्विक विकास तथा घरेलू आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए नरम रुख को बनाये रखा गया है.’

कोटक महिंद्रा बैंक की शांति एकामबराम ने मौद्रिक नीति समिति की तरफ से अचंभित करने वाला कदम बताया और कहा कि रिजर्व बैंक अनिश्चित वैश्विक तथा स्थानीय कारकों को ध्यान में रखते हुये और अधिक आंकड़ों के लिये देखो और इंतजार करो की नीति अपनाएगा. बैंक आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक मेलविन रेगो ने कहा, ‘मुद्रास्फीति के उपर जाने का जोखिम नीतिगत दर में यथास्थिति बनाये रखने का प्रमुख कारण है.’

नोटबंदी के बाद हुई मौद्रिक नीति की इस पहली समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि अनुमान को आधा प्रतिशत घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया. गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया है और बैंकिंग तंत्र में नये नोटों की आपूर्ति बढाने के प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने जनता से भी अपील की है कि वह नये नोटों को अपने पास जमा नहीं करें. गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो दिन चली बैठक के अंतिम दिन आज इसकी घोषणा की गयी.

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