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निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की जांच करेगी एजेंसियां

नयी दिल्ली : सरकार ने भोले भाले निवेशकों से पोंजी योजनाओं के जरिये धन जुटाकर उन्हें ठगने के कथित मामलों की विभिन्न एजेंसियों के जरिये जांच कराये जाने की आज घोषणा की. सरकार ने आज कहा कि इस तरह की गतिविधियों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ पूंजी बाजार नियामक सेबी, रिजर्व बैंक और कार्पोरेट कार्य […]

नयी दिल्ली : सरकार ने भोले भाले निवेशकों से पोंजी योजनाओं के जरिये धन जुटाकर उन्हें ठगने के कथित मामलों की विभिन्न एजेंसियों के जरिये जांच कराये जाने की आज घोषणा की.

सरकार ने आज कहा कि इस तरह की गतिविधियों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ पूंजी बाजार नियामक सेबी, रिजर्व बैंक और कार्पोरेट कार्य मंत्रालय तथा अन्य एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही है.

वित्त मंत्रालय के अनुसार इसके अलावा आयकर विभाग ने भी सारदा समूह की जांच का काम शुर किया है. कोलकाता स्थित इस समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन और अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनीलांड्रिंग गतिविधियों में लिप्त रहने के संदेह का मामला दर्ज किया है.

मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल और पूर्वी क्षेत्र में कथित तौर पर अवैध रप से चिट फंड कंपनियों द्वारा धन जुटाये जाने की जांच संबंधी कदमों का ब्यौरा देते हुये कहा कि विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों ने इसकी जांच के लिये कदम उठाये हैं.

पिछले कुछ दिनों से इस तरह की मीडिया रिपोर्टें लगातार आने से इस बारे में चिंता बढ़ी थी. इन रिपोटोंर् में देश के पूर्वी राज्यों में विशेषकर ग्रामीण और छोटे शहरी इलाकों में भोले भाले निवेशकों से अवैध रप से धन जुटाकर कथित तौर पर उनके साथ धोखाधड़ी किए जाने की खबरें प्रकाशित हुई हैं.

पोंजी योजनाओं के तहत अच्छी आय का वादा कर कई लोगों से सामूहिक तौर पर धन जुटाया जाता है, इसका भुगतान नये निवेशकों से इसी तरह का वादा कर जुटायी गयी राशि से किया जाता है. पुराने निवेशकों और एजेंटों को नये निवेशकों को योजना के दायरे में लाने के लिये मोटी रकम कमीशन के तौर पर दी जाती है.

वित्त मंत्रालय ने कहा मामले की भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), कार्पोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जांच की जा रही है. सेबी ने कई कंपनियों के खिलाफ कारवाई शुर की है. ऐसी कई कंपनियां उसकी नजर में हैं जिन्होंने सेबी नियमों का उल्लंघन किया है. देश के पूर्वी हिस्से में 59 से अधिक सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) से जुड़े मामलों में अभियोजन की कार्रवाई शुरू की गयी है.

मंत्रालय ने कहा है कि वित्तीय सेवाओं के विभाग ने इसके साथ ही जुलाई 2012 में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर जररी कदम उठाने को कहा था. राज्यों से कहा गया था कि वह राज्य पुलिस के आर्थिक अपराध विभाग जैसे नियामक संस्थानों और रिजर्व बैंक, सेबी, कंपनी पंजीयक, राजस्व विभाग एवं प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय प्रणाली को मजबूत बनायें.

इसमें कहा गया है रिजर्व बैंक को भी इस संबंध में फरवरी 2013 में जानकारी भेजी गई थी और वर्तमान में मामले की जांच की जा रही है. कार्पोरेट कार्य मंत्रालय के कदमों के बारे में इसमें कहा गया है कि मंत्रालय ने 31 कंपनियों के खातों और रिकार्ड की जांच का आदेश दिया. गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने जुलाई और नवंबर 2012 में कुछ मामलों में जांच के आदेश दिये थे.

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