नयी दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पहले दौर के वित्तपोषण की योजना तैयार कर ली जिसके तहत अगले कुछ सप्ताहमें पहले कुछ बैंकों में पूंजी डाली जा सकती है. सूत्रों ने बताया कि चौथी तिमाही के नतीजाें के बाद प्रत्येक बैंक ने अपनी गैर निष्पादित आस्तियों :एनपीए: तथा वृद्धि के अनुमान के आधार पर सरकार को विस्तृत आवेदन दिये हैं. उनपर विचार करने के बाद वित्तीय सेवा विभाग ने वित्तपोषण की पहली किस्त को अंतिमरूप दिया है. सूत्रों ने बैंकाेंमें डाली जाने वाली पूंजी का आंकड़ा नहीं दिया है लेकिन उन्होंने कहा कि अगले कुछ सप्ताह में सरकारी बैंकाें को 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये की पूंजी मिल सकती है.
सरकार ने पहले ही चालू वित्त वर्ष के लिए बैंकों में 25,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रावधान किया है. इसी के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा दिलाया था कि सरकार जरूरत होने पर और कोष उपलब्ध कराएगी. पिछले साल सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकाेंमें 70,000 करोड़ रुपये डालने की पुनर्गठन योजना ‘इंद्रधनुष’ की घोषणा की थी. इसी के साथ बैंकों को बासेल तीन के लिए पूंजी की जरूरत को पूरा करने के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपये और जुटाने होंगे.
इसी के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को चालू वित्त वर्षमें 25,000 करोड़ रुपये की पूंजी मिलेगी. इसके अलावा उन्हें 2017-18में 10,000 करोड़ रुपये तथा 2018-19में 10,000 करोड़ रुपये मिलेंगे. पिछले वित्त वर्षमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकाें को सरकार से 25,000 करोड़ रुपये का निवेश मिला था. इसमें सबसे ज्यादा 5,393 करोड़ रुपये एसबीआइ को तथा 2,455 करोड़ रुपये बैंक आॅफ इंडिया को मिले थे.
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