नयी दिल्ली : सीबीआई को झटका देते हुए एक विशेष 2जी अदालत ने आज अतिरिक्त स्पेक्ट्रम घोटाले में पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामलाल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि एजेंसी ने अभियुक्तों के खिलाफ फर्जी और मनगढंत आरोप पत्र दायर किये. अदालत ने इस तरह की गलती करने वाले सीबीआई अधिकारियों की जांच कराने का भी आदेश दिया है. यह मामला 2002 में आवंटित अतिरिक्त स्पेक्ट्रम से जुडा है. सीबीआई मामलों की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने पाया कि जांच एजेंसी ने अदालत को गुमराह किया और जो आरोप पत्र दायर किये गये वे तोड-मरोड कर पेश किये गये तथ्यों पर आधारित थे.
अदालत ने सीबीआई के निदेशक से कहा कि वह इस मामले में ऐसे आरोप पत्र दायर करने के दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच करे. न्यायाधीश ने कहा ‘मैं फैसले का आखिरी पैरा पढ रहा हूं. यह फर्जी और मनगढंत आरोप पत्र है और किसी भी आरोपी को फंसाने वाले साक्ष्य नहीं हैं. आरोप पत्र में तोड-मरोड कर पेश किये गये तथ्यों की भरमार है और अदालत को गुमराह करने की कोशिश की गयी है.’
अदालत ने कहा कि सीबीआई निदेशक को निर्देश दिया जाता है कि वे दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करें. सीबीआई ने दूरसंचार विभाग द्वारा अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों – हचिसन मैक्स (पी) लिमिटेड, स्टर्लिंग सेल्यूलर लिमिटेड और भारती सेल्यूलर लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया था. आरोप था कि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन के इन मामलों में सरकारी खजाने को कथित तौर पर 846.44 करोड रुपये का नुकसान हुआ. अदालत ने इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद 31 अगस्त को फैसला आरक्षित कर लिया था.
1965 बैच के आईएएस अधिकारी घोष सात फरवरी 2000 से 31 मई 2002 तक दूरसंचार सचिव थे. सीबीआई ने उन पर कंपनियों को कौडियों के भाव स्पेक्ट्रम देने का आरोप लगाया था. घोष ने ऐसे आरोप को खारिज करते हुए कहा था कि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आवंटन का फायदा केवल निजी कंपनियों को बल्कि एनटीएनएल और बीएसएनएल जैसी सरकारी कंपनियों को भी दिया गया था. उन्होंने कहा कि इस आवंटन में पद का कोई दुरुपयोग नहीं किया गया. आरोपी कंपनियों ने भी कहा था कि उन्हें बेशी पडा स्पेक्ट्रम दिया गया था जिससे सरकार नुकसान होने की बजाय फायदा ही हुआ.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.