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खाद्य उत्पाद, दवा संगठनों ने खाद्य नियामक संस्था (FSSI) को भ्रष्टाचार का अड्डा बताया

नयी दिल्ली: मैग्गी मुद्दे की पृष्ठभूमि में खाद्य एवं फार्मा क्षेत्र के कम से कम 11 उद्योग निकायों ने आज आरोप लगाया कि खाद्य नियामक एफएसएसएआई ‘भ्रष्टाचार का अड्डा’ बन गया है और उन्होंने इस प्राधिकार के कामकाज की सीबीआई जांच की मांग की है. इन 11 संगठनों ने मिलकर एक राष्ट्रीय संयुक्त कार्रवाई समिति […]

नयी दिल्ली: मैग्गी मुद्दे की पृष्ठभूमि में खाद्य एवं फार्मा क्षेत्र के कम से कम 11 उद्योग निकायों ने आज आरोप लगाया कि खाद्य नियामक एफएसएसएआई ‘भ्रष्टाचार का अड्डा’ बन गया है और उन्होंने इस प्राधिकार के कामकाज की सीबीआई जांच की मांग की है.

इन 11 संगठनों ने मिलकर एक राष्ट्रीय संयुक्त कार्रवाई समिति का गठन किया है और कहा है कि खाद्य उद्योग, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार (एफएसएसएआई) के तानाशाही रवैये के कारण प्रभावित हो रहा है.
समिति ने आज एफएसएसएआई के कामकाज में अनियमिततायें बरते जाने का आरोप लगाया और इसके कामकाज की सीबीआई जांच की मांग की है.
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (सीएआईटी) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, खाद्य सुरक्षा प्राधिकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव के आगे झुक गया है और भारत में केवल पैकबंद खाद्य पदार्थो की बिक्री को प्रोत्साहित करना चाहता है. कोई व्यापारी अगर सभी सुरक्षा मानकों का अनुपालन करना चाहता है तो वह ऐसा नहीं कर सकता.
खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार (एफएसएसएआई) ‘भ्रष्टाचार का अड्डा’ बन गया .है.उन्होंने कहा, ‘‘एफएसएसएआई में परिदृश्य एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जैसा है. यह पूरी तरह से निरंकुश बन गया है. इसकी समिति में उपभोक्ता संगठनों अथवा व्यावसायिक संगठनों का कोई वास्तविक प्रतिनिधित्व नहीं है.
जिसकी वजह से खाद्य उद्योग आज तबाह होने की कगार पर है. इसलिये हम एफएसएसएआई के कामकाज की सीबीआई से जांच की मांग करते हैं.” उन्होंने इस प्राधिकरण से उन 80 करोड रपये को वापस दिये जाने की भी मांग की है जो कि उसने उत्पाद मंजूरी के लिये लिये हैं. खंडेलवाल ने कहा, ‘‘हमने सूचना के अधिकार के तहत आंकडे जुटाये हैं और हम इसकी अधिक जानकारी ले रहे हैं ताकि सीबीआई जांच की मांग का मजबूत आधार बनाया जा सके

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