नयी दिल्ली : आयकर विभाग में जल्द एक ‘स्मार्ट-इंटेलिजेंट’ डेटाबेस स्थापित किया जाएगा. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की चेयरपर्सन अनीता कपूर ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि इस डेटाबेस से कर चोरी पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी, जिसकी वजह से देश में अनुपालन की संस्कृति नष्ट हो रही है. उन्होंने कहा कि इस डेटाबेस से आंकडों से सूचनाएं जुटाने की व्यवस्था में बहुत बडा सुधार आएगा और इसमें व्यक्तियों व इकाइयों के सभी वित्तीय लेनदेन का ब्योरा शामिल होगा.
कपूर ने कहा, ‘हम कर अपवंचना करने वालों से सिर्फ जुर्माना और बकाया कर की वसूली से ही संतुष्ट रहना नहीं चाहते. हम यह नहीं करना चाहते. हमारा मानना है कि कर चोरी न सिर्फ बुराई है, बल्कि इससे देश में अनुपालन की संस्कृति भी नष्ट हो रही हैं. क्योंकि अनुपालन करने वाले लोग मानते हैं कि प्रणाली ठीक नहीं है.’ सीबीडीटी आयकर विभाग का नीति बनाने वाला शीर्ष निकाय है.
सीबीडीटी की चेयरपर्सन ने यहां कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि हमारी कर प्रणाली के अनुचित हस्तक्षेप से मुक्त रहे. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिनके खिलाफ हस्तक्षेप करना जरुरी है. हर कोई इच्छा से अनुपालन नहीं करता. आयकर कानून के तहत हमारे पास छापेमारी व जब्ती का अधिकार है. हम सभी जानते हैं कि कुछ मामलों में बडे पैमाने पर कर चोरी हो रही है और इसके लिए हमें छापेमारी व जब्ती के अधिकार का इस्तेमाल करना होगा.’
कपूर ने बताया कि नया और ‘चतुर’ डेटाबेस इस साल पेश किया जाएगा, जिससे इस तरह के मामलों पर अंकुश लगेगा. यह डेटाबेस 2016 तक पूर्ण रूप से परिचालन में आ जाएगा. उन्होंने कहा, ‘इसे आयकर बिजनेस एप्लिकेशन कहा जाएगा और इससे डेटा तथा चतुराई से काम करने की विभाग की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा. यह एक बेहतर डेटाबेस होगा जिसमें इकाइयों के सभी वित्तीय लेनदेन के आंकडे होंगे.’
कपूर ने कहा कि विभाग कर दायरा बढाने का अभियान चला रहा है. हमारा लक्ष्य हर महीने कम से कम 25 लाख लोगों को आयकर के दायरे में लाने का है. सीबीडीटी की चेयरपर्सन ने कहा कि ढिलाई होने पर ऐसे करदाता जो कर चुकाते हैं, अपने कर्तव्य से पीछे हट सकते हैं क्योंकि वे कहेंगे कि जब और लोग कर नहीं देते तो वे ही क्यों दें. उन्होंने कहा कि कर अधिकारियों को ऐसे लोगों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.कर चोरों को नहीं पकडने से ऐसी प्रणाली को प्रोत्साहन मिलेगा जिसमें जो व्यक्ति कर प्रणाली के बाहर है, बाहर ही बना रहेगा.
कपूर ने कहा कि एक बडा कर क्षेत्र ऐसा है जो स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) व्यवस्था में नहीं आता. छोटे व्यापारी इसका एक उदाहरण हैं. उन्होंने कहा, ‘ऐसे लोग रिटर्न जमा नहीं कराते और यह सोचकर इंतजार करते हैं कि जब कर अधिकारी जांच के लिए आएगा तब देखा जाएगा. हम यह संदेश नहीं देना चाहते.’ कपूर ने कहा, ‘हमारा ध्यान सिर्फ कर संग्रहण पर नहीं होना चाहिए. इसका तार्किक निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए कि कर चोरों को न केवल जुर्माना चुकाना होगा, बल्कि उनपर मुकदमा भी दायर किया जाएगा.’
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