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सिन्‍हा जी…, सेबी कब महिला सदस्‍य को करेगा नियुक्‍त?

मुंबई : भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों को अपनी कंपनी में कम से कम एक महिला निदेशक रखने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं सेबी इसका कड़ाई से पालन करवाने के लिए सभी कंपनियों पर दबाव भी बना रहा है. इसी क्रम में आनन-फानन में 250 सूचिबद्ध कंपनियों ने […]

मुंबई : भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों को अपनी कंपनी में कम से कम एक महिला निदेशक रखने का निर्देश दिया है. इतना ही नहीं सेबी इसका कड़ाई से पालन करवाने के लिए सभी कंपनियों पर दबाव भी बना रहा है. इसी क्रम में आनन-फानन में 250 सूचिबद्ध कंपनियों ने अपने निदेशकों की सूची में महिला को शामिल किया है.

इन सब के बीच एक चौकाने वाली बात यह हे कि खुद सेबी में ही बोर्ड सदस्‍यों में कोई महिला नहीं हैं. सदस्‍य के रूप में जो एक महिला अंजुली चीब दुग्‍गल है, वह पदेन सदस्‍य हैं. जो कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की सचिव नियुक्‍त की गयी हैं. हाल ही में नावेद मसूद की जगह दुग्‍गल को पदभार सौंपा गया है. पहले मसूद सेबी के सदस्‍य थे.

ताजा सूचनाओं के अनुसार और मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार सेबी ने स्‍वयं किसी भी महिला को अपने बोर्ड सदस्‍यों में शामिल नहीं किया है. वर्तमान में सेबी के बोर्ड सदस्‍यों में यूके सिन्‍हा अध्‍यक्ष हैं. जबकि नियुक्‍त सदस्‍यों में प्रशांत शरण, राजीव अग्रवाल और वीके जयरथ शामिल हैं.

जबकि नोमिनेटेड सदस्‍यों में इकोनॉमिक्‍स अफेयर्स विभाग के संयुक्‍त सचिव डा. थॉमस मैथ्‍यु, रिजर्व बैंक के डिप्‍टी गवर्नर आनंद सिन्‍हा और कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय की नव नियुक्‍त सचिव अंजुली चीब दुग्‍गल शामिल हैं. सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों को 31 मार्च का समय दिया था और कहा था कि अगर महिला निदेशक नहीं रखे गये तो कंपनियों पर कार्रवाई भी हो सकती है.

अंतिम दिन 250 से अधिक कंपनियों ने नियुक्‍त किया महिला निदेशक

250 से अधिक कंपनियों ने अंतिम समय में कदम उठाते हुए बुधवार 31 मार्च को अपने निदेशक मंडल में महिला निदेशकों की नियुक्ति की ताकि इस बारे में बाजार नियामक सेबी की अनिवार्यता को पूरा किया जा सके. नये नियमों के तहत कंपनियों को अपने बोर्ड में कम से कम एक महिला सदस्य नियुक्त करना है और इस बारे में समय सीमा 31 मार्च 2015 निर्धारित की गयी थी.

जिन कंपनियों ने अंतिम दिन इस दिशा में कदम उठाया उनमें अदाणी पावर, अदाणी पोर्ट्स, एस्सार आयल तथा जीवीके शामिल हैं. हालांकि कंपनियों ने ज्यादातर अपने प्रवर्तकों या शीर्ष कार्यकारियों की पत्नियों या बेटियों को ही इस पद पर नियुक्ति दी है. वहीं कुछ ने स्वतंत्र निदेशक पद पर पारिवारिक सदस्यों में से ही महिलाओं विशेषकर पत्नियों, बेटियों या बहनों को नियुक्त किया है.

सेबी के नये नियमों के तहत जिन कंपनियों के बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक नहीं हैं उनके खिलाफ कल से दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. सेबी नियमों के तहत 25 करोड रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं कंपनी कानून के तहत यह जुर्माना 5000 रुपये से पांच लाख रुपये तक हो सकता है.

25 साल पहले हुई थी सेबी की स्थापना

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड इंडिया एक्ट, १९९२ के प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रावधानों के अनुसार १२ अप्रैल, १९९२ को स्थापित किया गया था. सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है. सेबी को एक गैर वैधानिक संगठन के रूप में स्थापित किया गया जिसे SEBI ACT1992 के अन्तर्गत वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है.

25 जनवरी 1995 को सरकार द्वारा पारित एक अध्यादेश के द्वारा पूंजी के निर्गमन, प्रतिभूतियों के हस्तांतरण तथा अन्य संबंधित मामले के सम्बन्ध में सेबी को नियंत्रक शक्ति प्रदान कर दी गयी. वर्तमान कानूनों तथा नियंत्रणों में परिवर्तन के सम्बन्ध में सेबी अब एक स्वायत्त संस्था है और अब उसे सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है.

सेबी की प्रमुख उपलब्धियां

सेबी निवेशकों के हितो के लिए वर्षों से काम कर रहा है. सेबी ने निवेशकों को बरगलाने और ठगने के मामले में कई बडी कंपनियों को जुर्माना किया है और कई की सूचीबद्धता भी रद्द की है. इसी के तहत एक समय की हीरो कंपनी सहारा को बड़ा झटका देते हुए सेबी ने उसके राह को कांटों भरा बना दिया है.

सेबी के संज्ञान के कारण ही आज सहारा प्रमुख सुब्रत राय सहारा जेल के अंदर है और निवेशकों को पैसा लौटाने के लिए बाध्‍य हैं. सेबी को अप्रैल 2003 में बाजार को इलेक्ट्रॉनिक बनाने की ओर जल्दी आंदोलन के लिए श्रेय दिया जाता है.

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