नयी दिल्ली : भारत की सॉवरेन रेटिंग में तत्काल अद्यतन की किसी संभावना से इनकार करते हुए वैश्विक एवं घरेलू रेटिंग एजेंसियों ने देश की राजकोषीय मजबूती की रुपरेखा में विलंब को लेकर सरकार की आलोचना की है और बजट में प्रस्तावित ‘महत्वाकांक्षी’ विनिवेश योजना से पिछडने के प्रति आगाह किया है. रेटिंग एजेंसियों ने यह चेतावनी भी दी है कि बाजार से जुटायी जाने वाली अधिक उधारी का उपयोग अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता बढाने के लिए ही किया जाना चाहिए.
एजेंसियों ने जीडीपी वृद्धि दर बढने एवं कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के बावजूद राजकोषीय मजबूती में दिक्कत को लेकर भी चिंता जतायी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल आम बजट पेश करते हुए कहा कि तीन प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य अब तीन साल में हासिल किया जाएगा, जबकि पूर्व में इसे दो साल के भीतर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था.वैश्विक एजेंसी मूडीज ने कहा कि साख के प्रोफाइल के समक्ष राजकोषीय पक्ष से अब भी बाधाएं हैं.
जबकि सरकार ने राजकोषीय स्थिति मजबूत करने के बजाय वृद्धि पर अधिक ध्यान देने का निर्णय किया है. इंडिया रेटिंग्स ने एक बयान में कहा, ‘राजकोषीय स्थिति मजबूत करने की पूर्व में घोषित रुपरेखा से यह पीछे हटना है. हमारा मानना है कि इस तरह का ऊंचा राजकोषीय घाटा तब तक नुकसानदायक नहीं है जब तक बाजार से ली गयी उधारी का उपयोग अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता बढाने में किया जाता है.’
बजट पेश होने से पहले एसएंडपी एवं मूडीज ने कहा था कि ऊंचा राजकोषीय घाटा उन कारकों में से एक है जो देश की रेटिंग में ‘बाधक’ हैं. इस बीच, घरेलू एजेंसी केयर रेटिंग्स ने तेज वृद्धि की जरुरत को देखते हुए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को ‘व्यवहारिक’ करार दिया. उसने कहा, ‘बजट वृद्धि के अनुकूल है और लगता है कि सरकार सार्वजनिक निवेश के साथ वृद्धि दर तेज करने की इच्छुक है.’ जेटली ने अनुमान जताया कि अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 8 से 8.5 प्रतिशत के बीच रहेगी जिसके चालू वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
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