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विनिवेश कार्यक्रम : 2014 में जुटे मात्र 18, 000 करोड़, 2015 में अच्छे दिन आने की उम्मीद
नयी दिल्ली : इस वर्ष देश में विनिवेश कार्यक्रम में काफी उतार-चढाव के बावजूद कार्यक्रम की शुरुआत जोर-शोर से हुई. लेकिन साल के आखिर में फिर से इसमें उछाल दिखा.सरकार कुछ चुने हुए सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र को सौंपी जा चुकी एक कंपनी में अपनी बची हिस्सेदारी बेचकर 2014 में अब तक 18,000 करोड़ […]
नयी दिल्ली : इस वर्ष देश में विनिवेश कार्यक्रम में काफी उतार-चढाव के बावजूद कार्यक्रम की शुरुआत जोर-शोर से हुई. लेकिन साल के आखिर में फिर से इसमें उछाल दिखा.सरकार कुछ चुने हुए सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र को सौंपी जा चुकी एक कंपनी में अपनी बची हिस्सेदारी बेचकर 2014 में अब तक 18,000 करोड़ रुपए से थोड़ी अधिक राशि जुटाने में कामयाब हुई हैं.
शेयर बाजार में जोरदार तेजी से सरकार के विनिवेश कार्यक्रम को कोई बड़ा फायदा अभी तक नहीं दिख रहा है. पिछले साल के दौरान इस अवधि में सरकारी उपक्रमों के शेयरों की बिक्री से 22,000 करोड़ रुपए से अधिक जुटाए जा चुके थे. सरकार आने वाले साल 2015 में, हालांकि 50,000 करोड़ रुपए से अधिक के शेयरों की बिक्री की पेशकश कर सकती है.
इस साल खत्म हो रहे विनिवेश कार्यक्रम का ब्योरा देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘आप अपने पुश्तैनी गहनों को अफरातफरी में तब तक नहीं बेचते जब तक कोई विपत्ति न खड़ी हो’. उन्होंने कहा कि शेयर बाजार भले ही नयी उंचाई पर पहुंच गया हो लेकिन उतार-चढ़ाव बहुत अधिक रहा और सार्वजनिक उपक्रम जैसी बहुमूल्य परिसंपत्तियों की हिस्सेदारी बेचने के लिए सही मूल्य हासिल करने का मौका बहुत कम रहा. सरकार को उम्मीद है कि 2015 में अच्छे दिन आएंगे.
सार्वजनिक क्षेत्र को विनिवेश की सलाह देने वाले एक शीर्ष बैंक अधिकारी ने कहा कि 2014 में सरकार के विनिवेश कार्यक्रम की शुरुआत ठीक रही लेकिन कुछ महीने में यह भटक गया. साल के अंत में हालांकि कुछ सफलता मिली और इस्पात क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सेल के शेयर-बिक्री कार्यक्रम को जोरदार समर्थन मिला.
बाजार विश्लेषकों ने इसे ‘सेल की सुपर बिक्री’ करार दिया. वर्ष 2014 के पहले तीन महीनों में सरकार सिर्फ तीन सार्वजानिक उपक्रम इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, भेल और इंडियन आयल की बिक्री के जरिए 7,725 करोड़ रुपए जुटाने में कामयाब रही. सीपीएसई एक्सचेंज ट्रेडेट फंड के विनिवेश के जरिए 3,000 करोड़ रुपए जुटाए गए. इसके यूनिट मार्च में सूचीबद्ध कराए गए. उसी महीने निजी क्षेत्र के बैंक ऐक्सिस बैंक की हिस्सेदारी की बिक्री के जरिए 5,557 करोड़ रुपए जुटाए गए.
सरकार ने पहले तीन महीनों में हिस्सेदारी बिक्री के जरिए 16,000 करोड़ रुपए से अधिक जुटाए. इसके बाद नरमी का लंबा दौर रहा. फिर अगले आठ महीनों में कोषों ने सिर्फ 52 करोड़ रुपए की मामूली राशि जुटाई और वह भी एनटीपीसी और नैशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड में कर्मचारियों के निर्धारित हिस्सेदारी की पेशकश के जरिए साल के आखिर महीने में सेल की हिस्सेदारी बेचकर 1,700 करोड़ रुपए से थोड़ी अधिक राशि जुटायी गयी थी.
इस तरह इस साल के अंत तक कुल जुटायीगयीराशि 18,059 करोड़ रुपए रही. इसके मुकाबले सरकार ने 2013 के दौरान 13 कंपनियों के शेयर बेचे थे जिससे विनिवेश के जरिए कुल 22,144.60 करोड़ रुपए जुटाए जा सके. सेल को मिली प्रतिक्रिया से उत्साहित सरकार ने हालांकि 2015 में विनिवेश कार्यक्रम को तेजी से आगे बढाने की योजना बनायी है, ताकि ओएनजीसी और कोल इंडिया समेत सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेची जा सके.सरकार के सामने मार्च 2015 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के दौरा 43,425 करोड़ रुपए जुटाने के लक्ष्य की चुनौती है.
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