चेन्नई : देश में सोने की कीमत में भारी उतार-चढ़ाव और ऊं ची मांग के बीच रत्न-आभूषण के खुदरा काम से जुडे जौहरियों ने बांड और सोने से जुड़ी जमा योजना के जरिये लोगों के पास पड़े सोने को जुटाने की मांग की है.
खुदरा विक्रेता सोने के सिक्के और सोने की छड़ों की बिक्री रोकने लगाने पर विचार कर रहे हैं ताकि सोने में निवेश कम हो. यह बात आल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलर्स ट्रेड फेडरेशन के क्षेत्रीय अध्यक्ष जी अनंत पद्मनाभन ने कही.
उन्होंने कहा अनुमान है कि भारत में लोगों के घरों में करीब 25,000 टन सोना पड़ा है और इस समय बाजार में इसकी कीमत 1,250 अरब डालर है. उन्होंने कहा हम सुझाव देते हैं कि कुछ लाइसेंस प्राप्त जौहरियों को बांड या अन्य योजनाओं के जरिए ग्राहकों से सोना प्राप्त कर बैंक में जमा करने की मंजूरी दी जाए. ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) और जीटीएफ (गोल्ड ट्रेडेड फंड) को स्वीकृति दी जानी चाहिए.इससे सोने का आयात कम होगा और चालू खाते के घाटे में भी कमी आएगी.
पद्मनाभन ने कहा सोने का यह भंडार भारतीय अर्थव्यवस्था के करीब 50 प्रतिशत के बराबर है. यदि सोने के जरिये होने वाली 10 प्रतिशत बचत का फायदा उठाया जाता है, तो यह 7,00,000 करोड़ रपये या 125 अरब डालर के बराबर होता है. उन्होंने कहा कि सरकार की सोने की आपूर्ति को सीमित करने के निर्देश से बाजार में सोने की भारी कमी हुई है और इससे सोने की दर बढ़ी है.
उन्होंने कहा कि जून 2013 तक सोने पर आयात शुल्क बढ़कर आठ प्रतिशत हो गया जो जनवरी 2012 में एक प्रतिशत था. उन्होंने आरोप लगाया कि इससे सोने का गैरकानूनी तरीके से आयात होगा.
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