नयी दिल्ली-बर्न : जल्द ही देश का कालाधन स्विस बैंकों से वापस आ सकता है. सरकार ने इसपग गंभीरता दिखानी शुरू कर दी है. काले धन पर भारतीय व स्विट्जरलैंड के अधिकारियों की अगले कुछ हफ्ताह में बैठक होने की उम्मीद है. बैठक में स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा काले धन से जुडे मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा. नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंडे में शामिल सबसे बड़ा मुद्दा कालाधन वापसी अब पूरा होता लग रहा है.
नयी सरकार के गठन के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली मुलाकात होगी. सरकार का कहना है कि वह विदेयों में जमा भारतीय नागरिकों के काले धन को देश में लाने का पूरा प्रयास करेगी. संघीय वित्त विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि सरकारी अधिकारियों की अगले कुछ सप्ताह में बैठक होगीं. हालांकि, उन्होंने इसका कोई अलग ब्योरा नहीं दिया. स्विट्जरलैंड भारतीय अधिकारियों को अन्य देशों से मिले नामों के आधार पर जानकारी देने से इनकार कर रहा है.
मुख्य रुप से भारत को फ्रांस और जर्मनी से ऐसे नामों की सूची मिली है. स्विट्जरलैंड का कहना है कि यह कुछ संबंधित बैंकों के पूर्व कर्मचारियों द्वारा चुरायी गयी सूची पर आधारित है. ऐसे में गैरकानूनी तरीके से प्राप्त सूचना के आधार पर कोई ब्योरा साझा नहीं किया जा सकता. इस साल फरवरी में स्विट्जरलैंड के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने नयी दिल्ली में भारत सरकार के अधिकारियों के साथ कर मामलों पर विचार विमर्श किया था.
इससे पहले स्विट्जरलैंड सरकार ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को कर मामलों पर विचार विमर्श के लिए अपने यहां आने का न्योता दिया था. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई में संसद को सूचित किया था कि भारतीय नागरिकों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को लेकर स्विट्जरलैंड ने कुछ कानूनी मुद्दे उठाए हैं. जेटली ने कहा था कि सरकार ऐसे खातों के बारे में जानकारी हासिल करने का पूरा प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा था कि सरकार इस बारे में प्रमाण जुटा रही है.
स्विट्जरलैंड के साथ अक्तूबर, 2011 में दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएसी) में संशोधन के बाद भारत ने स्विस बैंकों में भारतीयों के खातों के बारे में कई बार जानकारी मांगी है. स्विस नेशनल बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2013 के अंत तक स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों का जमा धन बढकर 14,100 करोड रुपये पर पहुंच गया, जो एक साल पहले 8,547 करोड रुपये था.
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