नयी दिल्ली: श्रम कानूनों में व्यावहारिक सुधार का आह्वान करते हुए मारुति सुजुकी इंडिया के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने कहा कि नीति में अस्थाई कामगारों को इस तरह भर्ती करने की छूट हो कि सबसे आखिर में नियुक्त कर्मचारियों को मंदी के दौर में सबसे पहले हटाया जा सके लेकिन उनके जीवन निर्वाह के लिए मजदूरी की पर्याप्त व्यवस्था हो. मारुति अपने यहां आखिर में नियुक्ति व्यक्ति की पहले छंटनी के सिद्धांत पर पहले से ही चल रही है. कंपनी अपने कुल कर्मचारियों में 25-30 प्रतिशत को अस्थाई तौर पर रखने के पक्ष में है ताकि मंदी के दौर में श्रम बल कम करने में आसानी हो.
भार्गव ने कहा, ”जिन अस्थाई कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों की प्राथमिक योग्यता के आधार पर चुना है और उन्हें उसी तरह प्रशिक्षित किया है. जब मंदी का दौर आता है तो उस व्यक्ति को सबसे पहले हटाया जाएगा जो आखिर में आया है. इसमें किसी प्रकार का भेद भाव नहीं होता.” उन्होंने कहा ”जब मांग बढती है तो हम उस कर्मचारी को वापस ले लेंगे जिसे हटाया गया है. आखिरी व्यक्ति को सबसे पहले वापस लिया जाएगा और जब विस्तार या सेवानिवृत्ति के कारण जगह खाली होगी तो इन्हीं अस्थाई कर्मचारियों में से स्थाई कर्मचारियों का चुनाव करेंगे.” इस नीति के संबंध में भार्गव ने कहा ”मैं चाहूंगा कि श्रम कानूनों में सुधार एक ऐसी नीति हो जिसमें नियुक्तियां इसी तरीके से हो जिसमें आखिर में पहले उस व्यक्ति की छंटनी हो जिसकी नियुक्ति सबसे बाद में हो, स्थायी कर्मचारी इन्हीं अस्थायी कर्मचारियों से बनाए जाएं और उनको स्थायी करने का सिलसिला चलता रहे.”
छंटनी के शिकार अस्थाई कर्मचारियों को सहायता प्रदान करने की जरुरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा ”जब मंदी के कारण इन लोगों की छंटनी की जाती है तो ऐसी प्रणाली होनी चाहिए कि उन्हें गुजारे के लिए पर्याप्त राशि प्रदान की जा सके.” अस्थाई कर्मचारी रखने के महत्व के बारे में उन्होंने कहा कि कुल कार्यबल का कुछ प्रतिशत गैर-स्थाई होना चाहिए ताकि वाहन उद्योग में उतार-चढाव और मांग की जरुरत पूरी हो सके. भार्गव ने कहा ”पूरा साल या साल दर साल एक जैसा उत्पादन नहीं होता है. आपने उतार-चढाव देखा है. इसलिए यदि आपके पास सभी कर्मचारी स्थाई हों और बाजार के हालात के कारण उत्पादन घटता है तो आपके सामने बडी समस्या आएगी कि लोग बिना काम के बेकार बैठे रहेंगे.”
उन्होंने कहा ”इसलिए हमारा विचार है कि कुल कर्मचारियों का 25-30 प्रतिशत हिस्सा हिस्सा अस्थाई हो. वे लचीलापन प्रदान करेंगे.” फिलहाल मारुति सुजुकी इंडिया में 19,000 कर्मचारी हैं जिनमें से 12,500 नियमित और 6,500 अस्थाई कर्मचारी हैं. कंपनी में करीब 1,100 प्रशिक्षु भी हैं.कंपनी ने मानेसर संयंत्र में 2012 में हुई हिंसा के मद्देनजर ठेकेदारों के जरिए दिहाडी कामगारों की नियुक्त बंद कर दी है और उसने सीधे तौर पर अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति की है.
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