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बढ़ती महंगाई के मद्देनजर RBI ने रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर रखा बरकरार

मुंबई : रिजर्व बैंक ने अनिश्चित वैश्विक माहौल और घरेलू बाजार में मुद्रास्फीति तेज होने तथा बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान बढ़ाये जाने के बीच गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर 5.15 फीसदी के स्तर पर ही बनाये रखने का फैसला किया. रिजर्व बैंक के गवर्नर […]

मुंबई : रिजर्व बैंक ने अनिश्चित वैश्विक माहौल और घरेलू बाजार में मुद्रास्फीति तेज होने तथा बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान बढ़ाये जाने के बीच गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर 5.15 फीसदी के स्तर पर ही बनाये रखने का फैसला किया. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की यह लगातार दूसरी बैठक है, जिसमें रेपो रेट को स्थिर रखा गया है.

नीतिगत दर को नरम न करने के बावजूद मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत झुकाव उदार बनाये रखा है. इसका मतलब यह है कि वह आर्थिक वृद्धि दर तेज करने के लिए कर्ज सस्ता रखने के पक्ष में है. रिजर्व बैंक ने 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के पांच फीसदी रहने के अनुमान को भी बनाये रखा. उसने कहा कि आर्थिक वृद्धि 2020-21 में सुधरकर छह फीसदी हो सकती है.

आरबीआई का कहना है कि आर्थिक वृद्धि अभी अपनी संभावित क्षमता से कम है. मौद्रिक नीति समिति ने अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 0.30 फीसदी बढ़ाकर 5.4-5 फीसदी कर दिया. समिति ने कहा कि मुद्रास्फीति का परिदृश्य अभी बड़ा अनिश्चित है. उसने कहा कि आर्थिक गतिविधियां नरम बनी हुई हैं. जिन कुछ चुनिंदा संकेतकों में हालिया समय में सुधार देखने को मिला है, व्यापक स्तर पर इनमें भी अभी गति आनी शेष है. वृद्धि दर और मुद्रास्फीति के वर्तमान दिशा तथा चाल को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति को लगता कि स्थिति (नीतिगत दर) को यथावत रखा जाना चाहिए.

रिजर्व बैंक ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो रेट यथावत रखने का पक्ष लिया. रिजर्व बैंक ने कहा कि ग्रामीण और बुनियादी संरचना खर्च बढ़ाने के उपायों के साथ ही आम बजट में व्यक्तिगत आयकर को तार्किक बनाये जाने से घरेलू मांग को समर्थन मिलने की उम्मीद है. रिजर्व बैंक ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा का अनुमान 0.50 फीसदी बढ़ाया गया है, लेकिन इससे बाजार से लिये जाने वाले कर्ज में वृद्धि नहीं हुई है.

उसने कहा कि सरकार ने बजट में अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 3.5 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है और बाजार से सकल उधार की राशि में 70 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि का अनुमान है. हालांकि, चालू वित्त वर्ष में कॉरपोरेट आयकर में कमी किये जाने तथा आर्थिक नरमी के मद्देनजर कर से प्राप्त राजस्व कम रहने के कारण राजकोषीय घाटा को 3.3 फीसदी रखने के लक्ष्य से चूक गयी है.

रिजर्व बैंक ने कहा कि आम बजट में आर्थिक वृद्धि को गति देने के कई उपाय किये गये हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा बुनियादी संरचना को सहारा देने पर जोर देने से निकट भविष्य में आर्थिक वृद्धि को तेजी मिलेगी, जबकि सितंबर, 2019 में कॉरपोरेट आयकर में की गयी कटौती से मध्यम अवधि में वृद्धि को सहारा मिलेगा.

रिजर्व बैंक ने कहा कि छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों को समायोजित करने की जरूरत है. उसने कहा कि अक्टूबर से अपनायी गयी बाह्य मानक प्रणाली ने मौद्रिक नीति का लाभ बेहतर तरीके से उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में मदद की है. सरकार अप्रैल से शुरू हो रही तिमाही में छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें घटा सकती है. रिजर्व बैंक ने सरकार के सुझाव के आधार पर छोटे उपक्रमों के संकटग्रस्त ऋण खातों के पुनर्गठन की योजना को एक बार के लिए कुछ समय जारी रखने का निर्णय किया है.

रिजर्व बैंक ने कहा कि हालांकि, कोरोना वायरस के फैले संक्रमण से पर्यटकों की आवक तथा वैश्विक व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. समिति ने खाद्य कीमतों में तेजी को लेकर कहा कि आने वाले समय में प्याज की कीमतों में नरमी का अनुमान है. हालांकि, अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी आने की आशंका है. उसने कहा कि अन्य खाद्य उत्पादों विशेषकर दालों और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों (मांस आदि) के भाव में तेजी से खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि के आसार हैं.

समिति ने कहा कि दूरसंचार सेवाओं की दरों में वृद्धि से भी खुदरा मुद्रास्फीति को तेजी मिल रही है. उसने कहा कि खाद्य पदार्थों तथा ईंधन को छोड़ अन्य श्रेणियों में मुद्रास्फीति की चाल पर सजगता से नजरें रखने की जरूरत है, क्योंकि मोबाइल सेवाओं की दरें बढ़ने, दवाओं के दाम बढ़ने तथा वाहनों के लिए नये उत्सर्जन मानक ने मुद्रास्फीति बढ़ायी है. उसने कहा कि पहले से उद्धृत कारक असर दिखाने लगे हैं. ऐसे में, मुद्रास्फीति पर इन कारकों के और पड़ सकने वाले असर को लेकर मौद्रिक नीति समिति सजग रहेगी.

रिजर्व बैंक ने फरवरी 2019 से अक्टूबर 2019 के दौरान रेपो रेट में 1.35 फीसदी की कटौती की थी. मुद्रास्फीति के रिजर्व बैंक के लक्षित दायरे से बाहर निकल जाने के कारण इस बैठक में रेपो रेट के यथावत रखे जाने के बारे में पहले से ही अनुमान लगाये जा रहे थे.

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