नयी दिल्ली : सरकार ने भारत बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) नाम से एक साझा निवेश कोष शुरू करने प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दी, जिसके यूनिटों में निवेश करने वालों का पैसा सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी संगठनों के बॉन्ड में लगाया जायेगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को यह निर्णय लिया. इस ईटीएफ के नये कोष की पेशकश (एनएफओ) दिसंबर में ही पेश होने का अनुमान है. भारत बांड ईटीएफ देश में पहला कॉरपोरेट बॉन्ड ईटीएफ होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा कि विस्तृत दायरे वाले इस ईटीएफ के सृजन तथा इसकी शुरुआत से हमें उम्मीद है कि निवेशकों का आधार बड़ा होगा. उन्होंने कहा कि जैसी घोषणा बजट में की गयी थी, यह देश में बॉन्ड बाजार के विस्तार में मदद करेगा. फिलहाल, सरकार की ओर से इस समय संचालित ईटीफ में निवशकों का पैसा चुनिंदा सरकारी कंपनियों के शेयरों में लगाया जाता है. ऐसे कोष के यूनिट शेयर बाजारों में खरीदे बेचे जा सकते हैं.
सीतारमण ने इस बॉन्ड ईटीएफ के निर्णय के बारे में कहा कि इस कोष के शुरू होने पर सरकारी कंपनियों तथा अन्य सरकारी संगठनों के लिए अतिरिक्त धन जुटाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस ईटीएफ में सरकारी कंपनियों या किसी सरकारी संगठन द्वारा जारी किये गये बॉन्ड होंगे और इनका शेयर बाजारों में कारोबार किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि इसकी एक यूनिट का अंकित मूल्य एक हजार रुपये रखा जायेगा, ताकि इसमें छोटे निवेशक भी निवेश कर सकें.
सीतारमण ने कहा कि हर ईटीएफ की परिक्वता तिथि होगी. अभी इनके लिए तीन साल और 10 साल की दो परिपक्वता श्रेणियां होंगी. निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने संवाददाताओं से कहा कि हम इसी महीने एनएफओ शुरू होने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर छह महीने में ईटीएफ की पेशकश होगी तथा एनएसई इसके सूचकांक की संरचना करेगा.
वित्तमंत्री ने कहा कि बॉन्ड ईटीएफ सुरक्षा, तरलता और अनुमान लगाने योग्य कम कर वाली आय मुहैया करायेगा. यह खुदरा निवेशकों को छोटी मात्रा में बॉन्ड में निवेश करने की सहूलियत देगा, जिससे उन्हें बॉन्ड बाजार की आसानी से कम लागत वाली पहुंच मिलेगी. इससे वैसे खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी, जो अभी नकदी की कमी तथा पहुंच नहीं होने के कारण बॉन्ड बाजार में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. वित्तमंत्री ने कहा कि इन बॉन्ड की मांग बढ़ने से इसे जारी करने वाले कम ब्याज पर ऋण ले सकेंगे, जिससे एक अवधि के लिए उनका ऋण अदायगी का बोझ कम होगा.
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