नयी दिल्ली : बिस्कुट बनाने वाली कंपनियों के संगठन आईबीएमए ने सरकार से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर मौजूदा 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने की मांग की है. संगठन का कहना है कि उच्च जीएसटी के साथ मैदा जैसे कच्चे माल की लागत बढ़ने से कंपनियों की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है. संगठन ने जीएसटी परिषद की शुक्रवार को होने वाली बैठक से पहले यह मांग की है. परिषद की गोवा में बैठक होनी है.
इंडियन बिस्कुट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईबीएमए) के महासचिव केपी मोहन दास ने कहा कि लगातार मार्जिन में गिरावट से बिस्कुट उद्योग इस समय संकट में है. इसका कारण 18 फीसदी की उच्च दर से जीएसटी लागया जाना तथा मैदा, चीनी, खाद्य तेल, दूध आदि जैसे कच्चे माल के दाम में वृद्धि है. संगठन के अनुसार, अगस्त में ही मैदा के भाव में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है. खाद्य तेल के दाम में भी तेजी आयी है. उन्होंने कहा कि जीएसटी से पहले बिस्कुट उद्योग की वृद्धि दर 15 से 17 फीसदी तक थी, वह पिछले वित्त वर्ष में घटकर 5.6 फीसदी पर आ गयी. जीएसटी जुलाई, 2017 में अमल में आया.
उन्होंने अन्य खाने-पीने के सामान से तुलना करते हुए कहा कि मिठाइयों, सूखे मेवा और चाय जैसे सामान पर जीएसटी 5 फीसदी है. जूस, नमकीन, जैम, पास्ता जैसे उत्पादों पर भी जीएसटी 12 फीसदी है, लेकिन बिस्कुट पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाना समझ से परे है. मोहन दास ने जीएसटी दर 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने की मांग करते हुए कहा कि बिस्कुट उद्योग श्रम गहन उद्योग है और करीब 70 लाख लोग इसमें कार्यरत हैं. मार्जिन प्रभावित होने से कंपनियों की स्थिति बिगड़ी है और अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो छंटनी करनी पड़ सकती है. बिस्कुट उद्योग का बाजार करीब 40,000 करोड़ रुपये का है.
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