17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रेल बजट पर दिखा मोदी असर, वादों को पूरा करने की कोशिश

नरेंद्र मोदी सरकार के पहले रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने वर्ष 2014 का रेल बजट पेश कर दिया है. सरकार के इस बजट की समीक्षा विशेषज्ञ करेंगे, तभी यह कहा जा सकेगा कि बजट हमें अच्छे दिन की ओर ले जायेगा या नहीं. लेकिन शुरु आती समीक्षा करें, तो यह कहा जा सकता है कि […]

नरेंद्र मोदी सरकार के पहले रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने वर्ष 2014 का रेल बजट पेश कर दिया है. सरकार के इस बजट की समीक्षा विशेषज्ञ करेंगे, तभी यह कहा जा सकेगा कि बजट हमें अच्छे दिन की ओर ले जायेगा या नहीं. लेकिन शुरु आती समीक्षा करें, तो यह कहा जा सकता है कि बजट पर नरेंद्र मोदी की छाप दिख रही है और यह कहा जा सकता है कि अच्छे दिनों की शुरुआत हो चुकी है. इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि किसी भी निर्माण के लिए अच्छी बुनियाद की जरूरत होती है और अगर इस बार के रेल बजट को देखें, तो यह कहा जा सकता है कि उसकी शुरुआत हो चुकी है.

वादों को पूरा करने में जुटी सरकार

16वीं लोकसभा के चुनाव के वक्त जिस तरह के ख्वाब नरेंद्र मोदी ने आम लोगों को दिखाये थे, उसे पूरा करने की ओर रेल बजट दौड़ चुका है. बजट में तमाम ऐसी बातें हैं, जो रेलवे का आधुनिकीकरण तो करेंगी ही, साथ ही आमदनी भी बढ़ायेगी. मोदी का इंटरनेट प्रेम रेल बजट में साफ दिखा है, यही कारण है कि अब प्लेटफॉर्म टिकट और जेनरल टिकट भी इंटरनेट के जरिये मिलेगा. रेल बजट में विदेशी निवेश को बढ़ाने की भी व्यवस्था की गयी है. 27 एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन भी एक बड़ी खबर है.

यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे की साफ-सफाई पर भी काफी ध्यान बजट में दिया जा रहा है. आरपीएफ में स्त्री और पुरुष कांस्टेबल की भरती की जा रही है. रेल बजट में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत कई कार्यों को करने की बात कही गयी है. इसमें फुटब्रिज बनाने और प्लेटफॉर्म के आधुनिकीकरण का काम करने की बात कही गयी है. सुविधाओं के नाम पर रेडी टू ईट ब्रांडेड खाना उपलब्ध कराया जायेगा. बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद चलायी जायेगी. बजट में सरकार ने रेल किराया नहीं बढ़ाया है, लेकिन इसकी भरपाई पहले ही सरकार कर चुकी है.

जरूरी है घोषणाओं को अमल में लाना

इसमें कोई दोराय नहीं है कि इस रेल बजट में जो घोषणाएं हुई हैं वह रेलवे को विकास के पथ पर ले जायेगी, लेकिन जरूरी यह है कि घोषणाओं को अमल में लाया जाये. उनपर काम किया जाये. यदि इसमें थोड़ी भी कोताही हुई, तो इस बजट और कांग्रेस के बजट में कोई फर्क नहीं रह जायेगा.

आत्मविश्वास का बजट

विगत कुछ सालों से देश में गंठबंधन की सरकार चल रही थी. जिसके कारण हमेशा ही रेल मंत्रालय गंठबंधन के सहयोगियों के पास रहा था. परिणाम यह हो रहा था कि हमेशा ही वह मंत्री अपनी पार्टी के हितों के अनुसार रेल बजट को पेश कर रहा था. जिसके कारण कभी बंगाल, तो कभी बिहार को प्राथमिकता रेल बजट में मिल रही थी. लेकिन इस बार रेल बजट मजबूरियों के साथ पेश नहीं किया गया. यही कारण है कि इस बार रेल बजट पूरे देश का प्रतीत हुआ किसी खास प्रदेश का नहीं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें