नयी दिल्ली : इराक संकट के गहराने के बाद भारत सरकार इस प्रयास में जुट गयी है कि किसी तरह ऊर्जा को सुरक्षित किया जाये.पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को बताया कि देश को तेल संकट से बचाने के लिए योजनाएं बनायी जा रही हैं, ताकि इराक संकट का असर भारत पर न पड़े.
सैपइंट ग्लोबल मार्केट के निदेशक आदित्य गांधी ने बताया कि भारत को कच्चा तेल उपलब्ध कराने वालों में इराक दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर है. इसलिए अगर यहां से कच्चे तेल की सप्लाई पर असर पड़ता है, तो निश्चिय ही हमारे देश पर इसका असर पड़ेगा, लेकिन इस स्थिति से निपटने के लिए सउदी अरब और कुवैत से कच्चे तेल को लेकर बातचीत की जा रही है, ताकि वैकल्पिक उपाय किये जा सकें . उन्होंने कहा कि अगर इराक संकट गहराता है और दक्षिण इराक अशांत हो जाता है, तो उत्तरी इराक से सप्लाई जारी रह सकती है.
बाजार के सूत्रों का कहना है कि भारतीय तेल कंपनियां इस वर्ष 19.4 मिलियन मैट्रिक टन कच्चा तेल खरीदने की योजना बना चुकी है. जिसमें से 18.7 मिलियन मैट्रिक टन इंडियन ऑयल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के लिए है. प्राप्त जानकारी के अनुसार यह दोनों कंपनियां अपने कोटे का 50 प्रतिशत तेल उठा चुकी है. भारत, इराक के जिस इलाके से कच्चा तेल खरीदता है वह बसरा में स्थित है. बसरा उस इलाके से काफी दूर है, जहां फिलवक्त संकट जारी है, इसलिए यहां से कच्चे तेल का उत्पादन प्रभावित नहीं हो रहा है.
सरकारी सूत्रों का कहना है कि अभी स्थिति सामान्य है और चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन इराक में अगर संकट जारी रहा, तो पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य में वृद्धि हो सकती है.पेट्रोलियम मंत्री प्रधान ने पांच दिनों की मास्को यात्रा से लौटने के बाद स्थिति की समीक्षा की है. वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वार्ता करने के बाद उन्होंने कहा कि ऐसी संभावना बहुत कम है कि इराक से तेल के सप्लाई पर असर पड़ेगा, इसलिए अभी स्थिति को विकट नहीं बताया जा सकता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.