नयी दिल्ली : करीब 50 साल पुराने आयकर कानून का मसौदा फिर से तैयार करने के लिए गठित समिति भाषा को सरल बनाने और उन क्षेत्रों को आसान बनाने की दिशा में काम करेगा, जो कई व्याख्याओं और समय-समय पर जोड़े गये प्रावधानों के कारण जटिल हो गये हैं. उम्मीद जाहिर की जा रही है कि यह समिति आगामी 28 फरवरी, 2019 तक सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य तथा समिति के प्रमुख अखिलेश रंजन ने कहा कि इस कदम का मकसद अनुपालन को प्रोत्साहित करना तथा कर निश्चितता सुनिश्चित करना है.
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रंजन ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि कर कानून ऐसा होना चाहिए, जो समझ में आ जाये. कुछ मामलों में भाषा जटिल हो गयी है. कई जगह बार-बार अतिरिक्त सामग्री जोड़ी गयी हैं और व्याख्याओं पर व्याख्या एवं प्रावधानों पर प्रावधान डाले गये हैं. उन्होंने कहा कि हम केवल बदलाव के लिए भाषा में बदलाव की कोशिश नहीं कर रहे. मुझे लगता है कि हमें इस रूप से काम करना चाहिए, जिससे कानून को समझने के लिहाज से आसान बनाया जा सके. इससे अनुपालन बढ़ेगा और कर निश्चितता आयेगी.
कार्यबल 50 साल पुराने आयकर कानून को मसौदा फिर से तैयार कर रहा है और अपनी रिपोर्ट 28 फरवरी, 2019 तक देगा. समिति की सिफारिशों को 2019-20 के पूर्ण बजट में शामिल किया जायेगा. पूर्ण बजट अगले साल होने वाले आम चुनाव के बाद पेश किया जायेगा. कार्यबल के अन्य सदस्य गिरीश आहूजा (चार्टेड एकाउंटेंट,) राजीव मेमानी (ईवाई के चेयरमैन और क्षेत्रीय निदेशक), मुकेश पटेल (कर मामलों के वकील), मानसी केडिया (परामर्शदाता इक्रियर) तथा जीसी श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त आईआरएस तथा वकील) हैं.
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