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सहारा प्रकरण:नयी पीठ गठित,सुनवाई आज

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में सहारा मामले की सुनवाई के लिये नई पीठ का गठन किया गया है. यह खंडपीठ 19 मई को इस मामले की सुनवाई करेगी. न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ अब सहारा प्रकरण की सुनवाई करेगी. इससे पहले, न्यायमूर्ति जे एस खेहड ने इस मामले […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में सहारा मामले की सुनवाई के लिये नई पीठ का गठन किया गया है. यह खंडपीठ 19 मई को इस मामले की सुनवाई करेगी. न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ अब सहारा प्रकरण की सुनवाई करेगी. इससे पहले, न्यायमूर्ति जे एस खेहड ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग करते हुये प्रधान न्यायाधीश से नई खंडपीठ के गठन का अनुरोध किया था.

इस मामले की 2012 से ही न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी. प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा ने न्यायमूर्ति राधाकृष्णन के 14 मई को सेवानिवृत्त होने और न्यायमूर्ति खेहड के इससे अलग होने के कारण नई खंडपीठ का गठन किया. न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने अपने विदाई समारोह में कहा था कि इस मामले की सुनवाई के दौरान वह और उनके परिवार के सदस्य ‘अकल्पनीय दबाव और तनाव’ में थे.

न्यायमूर्ति राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति खेहड ने छह मई को अपने फैसले में सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को जेल भेजने का आदेश सही ठहराते हुये उनके इस दावे को ठुकरा दिया कि मामले में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया. 65 वर्षीय राय निवेशकों का बीस हजार करोड रुपए से अधिक रुपया नहीं लौटाने के कारण चार मार्च से जेल में है. न्यायालय ने राय से कहा था कि जमानत प्राप्त करने के लिये दस हजार करोड रुपए के भुगतान के बारे में नया प्रस्ताव लाया जाये.

न्यायालय ने राय की याचिका पर यह आदेश दिया था. राय ने याचिका में चार मार्च के आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी थी. इस आदेश के तहत निवेशकों का करीब बीस हजार करोड रुप्ए सेबी के पास जमा करने के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण उन्हें जेल भेजा गया था. न्यायालय ने अपने फैसले में निवेशकों का धन लौटाने के लिये उसके सारे आदेशों की ‘तरीके से’ अवहेलना करने के कारण सहारा समूह के प्रति कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया था.

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