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डिफॉल्टर ना बनें, ऐसे चुकायें ‘एडुकेशन लोन’, यहां चेक करें इलेजिबिलिटी व क्रेडिट स्कोर

गुणवत्तायुक्त शिक्षा अच्छे और समृद्ध जीवन का आधार है. वर्तमान में अच्छी शिक्षा का अर्थ है किसी शीर्ष रैंक वाली संस्थान से ग्रेजुएट होना, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तेजी से बढ़ रही लागत के कारण सभी लोग अपने शैक्षिक सपनों को पूरा करने की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं. ऐसे में छात्र-छात्राओं को अपने […]

गुणवत्तायुक्त शिक्षा अच्छे और समृद्ध जीवन का आधार है. वर्तमान में अच्छी शिक्षा का अर्थ है किसी शीर्ष रैंक वाली संस्थान से ग्रेजुएट होना, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए तेजी से बढ़ रही लागत के कारण सभी लोग अपने शैक्षिक सपनों को पूरा करने की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं. ऐसे में छात्र-छात्राओं को अपने ज्ञान की प्यास बुझाने में मदद करने के लिए शिक्षा ऋण एक बहुत ही उपयोगी विकल्प के रूप में उभर कर आया है. जो विद्यार्थी प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं और जो माता-पिता अपने बच्चों को भारत या विदेश के किसी शीर्ष संस्थान में पढ़ाना चाहते हैं उनके सपनों को पूरा करने में स्टूडेंट एजुकेशन लोन काफी मददगार साबित हो रहा है.

किसी अन्य प्रकार के ऋण की तरह शिक्षा ऋण का भुगतान भी समय पर कर देना चाहिए. शिक्षा ऋण के भुगतान में डिफॉल्ट होने पर प्राथमिक ऋणकर्ता (विद्यार्थी) के साथ-साथ सह-आवेदक/जमानतदार (माता-पिता या अभिभावक) के क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अगर आप 90 दिनों के लिए लगातार ईएमआई का भुगतान करने में असफल रहते हैं, तो बैंक ऋण को गैर-निष्पादित संपत्ति (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) मानता है और ऋणकर्ताओं को डिफॉल्टर के रूप में चिह्नित करता है. उच्च मूल्यवाला ऋण होने के मामले में बैंक आपके द्वारा प्रतिभूत की गयी संपत्ति को भी जब्त कर सकती है.ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए आपको सावधानीपूर्वक योजना बनाकर अपना ऋण वापस करना चाहिए.
कैसे बनाएं ऋण अदायगी की रणनीति
अधिस्थगन अवधि समाप्त हो जाने के बाद शिक्षा ऋण का पुनर्भुगतान शुरू होता है. अधिस्थगन अवधि जिसे ईएमआई होलीडे भी कहा जाता है, अपनी पढ़ाई समाप्त होने के एक साल बाद या नौकरी मिलने के छह महीने के बाद, इनमें जो भी पहले हो, तक रहता है. चूकि अधिस्थगन अवधि के दौरान ऋण ब्याज अर्जित होता है, इसलिए ऋणकर्ता इस अवधि के दौरान इसका भुगतान करना चुन सकता है. यह एक अच्छा अभ्यास है क्योंकि जब आप इस अवधि के दौरान ब्याज का भुगतान करना जारी रखते हैं तो बैंक आपको ब्याज पर एक प्रतिशत की छूट देती है. डिफॉल्ट से बचने के लिए नीचे दी गई रणनीतियों का पालन करें और समय के भीतर या इससे पहले अपनी ऋण का भुगतान करें ताकि इससे अपका क्रेडिट स्कोर खराब न हो.
1. ईएमआई होलीडे का बेहतर उपयोग करें
अधिस्थगन अवधि ऋण लेनेवालों के लिए एक कुशन की तरह है क्योंकि ऋण चुकाना शुरू करने से पूर्व बैंक उन्हें कुछ अतिरिक्त समय की अनुमति देता है. विद्यार्थी इस अवधि का उपयोग एक पुनर्भुगतान कोष बनाने के लिए कर सकते हैं. इस राशि का इस्तेमाल अपनी शिक्षा ऋण के कुछ भाग का पूर्व भुगतान करने के लिए कर सकते हैं. वैकल्पिक रूप से आप इस राशि को वित्तीय संकट के मामले में ईएमआई का भुगतान करने के लिए भी अपने पास रख सकते हैं, ताकि आप नियमित ईएमआई का भुगतान करने से नहीं चूकें. अधिस्थगन अवधि के दौरान साधारण ब्याज का भुगतान करने से समग्र ब्याज बोझ कम हो जाएगा और आप एक प्रतिशत की ब्याज रियायत के लिए पात्र भी हो जायेंगे.

2. ब्याज दर में उतार चढ़ाव का रखें ध्यान
शिक्षा ऋण ब्याज की स्थिर दर या अस्थिर दर दोनों पर मिल सकता है. यद्यपि अन्य ऋणों की स्थिति में अस्थिर दर को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन अल्पावधि के लिए ब्याज की एक निश्चित दर, शिक्षा ऋण के लिए बेहतर हो सकती है क्योंकि एक समान राशि का नियमित रूप से भुगतान करना विद्यार्थियों के लिए आसान होगा. हालांकि यदि आपके ऋण में बाजार की स्थितियों के आधार पर ब्याज दर में उतार-चढ़ाव होता है तो उस पर नजर रखना बुद्धिमानी होगी. भविष्य में दर के उतार-चढ़ाव से खुद को बचाने के लिए, एक आपातकालीन कोष बनाना चाहिए. यह सलाह दी जाती है कि चूंकि जब आप जीवन के नये चरणों में जाते हैं तो आपके खर्चों में भी बढ़ोत्तरी होती है इसलिए ऐसी अनिश्चितताओं से बचना ही आपके लिए बेहतर होगा.

3. प्रावधानों का अधिकतम लाभ उठाएं
प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए, सरकार ने कई प्रावधान रखे हैं ताकि ऋण का बोझ विद्यार्थियों के लिए ज्यादा न हो. कुछ बैंक मेधावी विद्यार्थियों के लिए मार्जिन राशि के नियम में भी छूट देते हैं या वे ट्यूशन फीस के अलावा कुछ अतिरिक्त खर्च हेतु फंड का चुनाव भी कर सकते हैं. महिला ऋणकर्ता ब्याज दर पर 0.5 प्रतिशत रियायत के लिए भी पात्र होती हैं. दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी बैंकों से कुछ अतिरिक्त विशेषाधिकार भी प्राप्त कर सकते हैं. आपको इन प्रावधानों को समझना चाहिए और इनका अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए. यदि संभव हो तो राशि को अलग-अलग भाग में प्राप्त करें ताकि समग्र ब्याज पर व्यय को कम किया जा सके.
4. ऋण अदायगी का तालमेल अपनी आय के साथ बनाएं
अपनी आय के अनुसार शिक्षा ऋण का भुगतान करना अच्छा है. यद्यपि आपके पास हर महीने पूरा ईएमआई का भुगतान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, लेकिन प्रति माह जब आपके पास आमदनी होती है, उसके अनुसार राशि का भुगतान करना निर्धारित कर सकते हैं और जब आपके पास पर्याप्त राशि आती है, तो उस राशि का उपयोग आप अपने ऋण का भुगतान पूर्ण रूप से या उसके कुछ भाग का भुगतान करने के लिए कर सकते हैं. हालांकि, आपको यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि पूर्व-भुगतान करने पर कहीं आपको कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है. हमेशा लागत-लाभ विश्लेषण करने के बाद ही भुगतान करें.
तो ये आपके शिक्षा ऋण के अदायगी की योजना बनाने के कुछ तरीके हैं. पिछले कुछ वर्षों से, शिक्षा ऋण लेना आसान हो गया है लेकिन इसके साथ ही बैंकों पर बकाये ऋण का बोझ भी बढ़ गया है. इसलिए भारतीय बैंकिंग एसोसिएशन (आईबीए) शिक्षा ऋण के लिए पात्रता से संबंधित कठोर दिशानिर्देश तैयार करने की ओर अग्रसर है. ऋणकर्ता के प्रकार पर निर्णय लेने के अलावा, वे कॉलेजों के लिए एक रेटिंग प्रणाली पेश करने की भी योजना बना रहे हैं, जो संस्थान की प्रतिष्ठा के साथ-साथ प्लेसमेंट के रिकॉर्ड पर भी निर्भर होगा. उनके पास नियोजित विद्यार्थियों के वेतन पैकेज के बारे में पूरा आंकड़ा है और जिसमें उनके भविष्य के क्रेडिट एक्सटेंशन का निर्णय भी शामिल है. इसका मतलब यह है कि जो विद्यार्थी आईआईटी या आईआईएम में पढ़ाई के लिए शिक्षा ऋण चाहते हैं, उन्हें ऋण प्राप्त करना आसान होगा. हालांकि, कम प्रतिष्ठित संस्थान में वही पाठ्यक्रम चुनने वालों के लिए चीजें थोड़ी अधिक मुश्किल हो सकती है.
बैंक अपनी भविष्य की कमाई और बकाया राशि की चुकौती की क्षमता के आधार पर विद्यार्थियों को ऋण प्रदान करते हैं. यदि विद्यार्थी वर्तमान पाठ्यक्रम समाप्त होने पर उच्च शिक्षा के लिए जाने का फैसला करता है, तो बैंक अधिस्थगन की अवधि बढ़ा सकता है, भले ही विद्यार्थी ने कोई नया या दूसरी शिक्षा ऋण लिया हो या नहीं. यदि मंदी की तरह कुछ आर्थिक स्थितियों के कारण ऋणकर्ता को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिलती है, तो ऋण दाता ऋण अदायगी की अवधि के विस्तार पर विचार कर सकते हैं. हालांकि, यह सुनिश्चित नहीं है. यदि आपके नियंत्रण के बाहर होनेवाली कारणों की वजह से आपकी पढ़ाई के कोर्स में वृद्धि होती है, तो बैंक फिर से आपको अधिकतम दो साल का विस्तार दे सकती है.

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