नयी दिल्लीः देश में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू करने के बाद भारत में कार बनाने वाली कंपनियों ने ग्राहकों को इसका लाभ देने के लिए अपने माॅडलों की कीमतों में कटौती करना शुरू कर दिया है, लेकिन रोड टैक्स में इजाफा करके राज्य सरकारें ग्राहकों के इस मुनाफे को अपनी झोली में डाल सकती हैं. इसकी शुरुआत महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने कर दिया है. महाराष्ट्र में जीएसटी लागू होने के कारण ऑक्ट्रॉय समाप्त हो गया है. इससे राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई करने के लिए फड़नवीस सरकार ने वाहनों पर रोड टैक्स 2 फीसदी बढ़ा दिया है.
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वाहन निर्माण क्षेत्र के लोगों को अब इस बात का डर सता रहा है कि केंद्र सरकार के निर्देश के अनुसार उन्होंने ग्राहकों को लाभ देने के लिए अपने कारों की कीमतों में कटौती करना शुरू कर तो दिया है, लेकिन कहीं एेसा न हो कि तोड़-तिकड़म के जरिये रोड टैक्स आैर रजिस्ट्रेशन चार्ज बढ़ाकर राज्य सरकारें इस फायदे को अपनी ही झोली में डाल लें. उन्हें इस बात की भी आशंका है कि केंद्र सरकार के रोड टैक्स को जीएसटी के दायरे में न लाने के कारण अन्य राज्य भी आने वाले दिनों में ऐसे कदम उठा सकते हैं.
वाहन निर्माता कंपनी के संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सिआम) के उप महानिदेशक सुगतो सेन ने बताया कि पहले भी केंद्र सरकार के हर बार उत्पाद शुल्क घटाने पर राज्य सरकारें रोड टैक्स बढ़ा देती थीं, जिससे फायदा समाप्त हो जाता था. इसी वजह से हमने सरकार से रोड टैक्स को जीएसटी में मिलाने का निवेदन किया था. रोड टैक्स शुरुआत में एक यूजर चार्ज के तौर पर लगाया जाता था, लेकिन अब यह राजस्व में घाटे की भरपाई करने का एक अहम जरिया बन गया है.
इकोनाॅमिक टाइम्स से बातचीत के दौरान वाहन उद्योग के एक कार्यकारी ने कहा कि हम एक टैक्स, एक देश की बात करते हैं, लेकिन अभी भी विभिन्न राज्यों में रोड टैक्स 4-17 फीसदी के बीच है. ग्राहकों को अलग-अलग राज्यों में वाहन खरीदने के लिए अलग कीमतें चुकानी होंगी. अगर राज्य सरकारें स्थानीय कर बढ़ाना शुरू करती हैं, तो इससे जीएसटी से मिलने वाला कीमतों की कमी का लाभ समाप्त हो जायेगा.
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