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महिला अधिकार पर होती है खूब बात, टिकट देने में हर दल उदास

चतरा क्षेत्र से वर्ष 1957 में पहली ललिता राजलक्ष्मी बनीं थी सांसद झारखंड में राजनीतिक दलों के पास महिला उम्मीदवारों का टोटा भी राज्य गठन के बाद अब तक सिर्फ दो महिला ही जीत कर पहुंची हैं संसद सतीश कुमाररांची : महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारे भले ही चुनावी […]

  • चतरा क्षेत्र से वर्ष 1957 में पहली ललिता राजलक्ष्मी बनीं थी सांसद
  • झारखंड में राजनीतिक दलों के पास महिला उम्मीदवारों का टोटा भी
  • राज्य गठन के बाद अब तक सिर्फ दो महिला ही जीत कर पहुंची हैं संसद
सतीश कुमार
रांची : महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारे भले ही चुनावी फिजा में गूंजते सुनाई देते हैं, लेकिन महिलाओं को राजनीति में अब भी उनका हक नहीं मिला है. सभी राजनीतिक दल महिला वोटर्स को लुभाने की अलग-अलग तरह से कोशिश करते हैं, लेकिन उम्मीदवार के तौर पर महिलाओं पर भरोसा नहीं जताते.
हर चुनाव से पहले महिला संगठनों की तरफ से महिलाओं को उनकी आबादी के हिसाब से प्रतिनिधित्व देने की मांग उठती है, लेकिन वह बस एक खबर तक सीमित रह जाती है. राजनीतिक दल टिकट देने के लिए आधी आबादी पर पूरा भरोसा नहीं करते. झारखंड में तो राजनीतिक दलों के पास महिला उम्मीदवारों का टोटा है.
वर्तमान 16वीं लोकसभा में 66 महिला सांसद हैं, लेकिन झारखंड से एक भी महिला सांसद नहीं है. राज्य गठन के बाद झारखंड से मात्र दो महिला सांसद बन पायी़ं कांग्रेस से सुशीला केरकेट्टा व झामुमो से सुमन महतो को सांसद बनने का मौका मिला़ वर्तमान लोकसभा चुनाव में झारखंड से चार-पांच महिला उम्मीदवारों के नाम चर्चा में सामने आ रहे हैं. इसमें भाजपा से लुईस मरांडी, कांग्रेस से गीता कोड़ा का नाम आगे है़
पहली बार 1957 में राजघराने की ललिता राजलक्ष्मी झारखंड से बनीं थीं सांसद : इतिहास पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि आजादी के बाद 1957 में पहली बार झारखंड (अविभाजित बिहार) से एक महिला सांसद लोकसभा पहुंचीं, जिनका नाम ललिता राजलक्ष्मी था, जो हजारीबाग वेस्ट (अभी चतरा) से सांसद बनी थीं. वह रामगढ़ राजघराने की थीं. वे चतरा से तीन बार चुनाव जीत कर संसद पहुंचीं. 1957 में वे छोटानागपुर संताल परगना जनता पार्टी से जीत कर आयीं थी.
पलामू से जीत चुकी हैं मंजरी शशांक-कमला कुमारी : तीसरी लोकसभा में पलामू रिजर्व सीट से भी एक महिला उम्मीदवार चुन कर आयी, जिनका नाम मंजरी शशांक था. वे स्वतंत्र पार्टी की उम्मीदवार थीं.
उनका जन्म अविभाजित बिहार के चक्रधरपुर में हुआ था. वे 1962 से 67 तक सांसद रहीं. 1967 में पलामू रिजर्व सीट से कांग्रेस पार्टी की कमला कुमारी पहली बार चुनाव जीत कर आयीं.
फिर वे 1971, 1980 और 1984 में चुनाव जीत कर आयीं थीं. कमला कुमारी का रांची से गहरा संबंध था. वे यहीं पर जन्मी थीं और उनकी शिक्षा भी यहीं हुई थी. 1984 में लोहरदगा सीट से कांग्रेस की सुमति उरांव चुन कर आयीं थीं, उन्होंने 1989 में भी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता था. वे सिमडेगा जिले में जन्मीं थीं.
रीता वर्मा भाजपा की टिकट पर 1991 में धनबाद सीट से चुनाव जीत कर आयीं थीं. उन्होंने 1996,1998 और 1999 में भी इस सीट से चुनाव जीता था. वे आइपीएस अधिकारी रणधीर वर्मा की पत्नी हैं.
भाजपा की टिकट पर 1998 में जमशेदपुर से आभा महतो चुनाव जीत कर आयीं. वे 1999 में भी चुनाव जीत कर आयीं थीं. वे झारखंड आंदोलनकारी नेता शैलेंद्र महतो की पत्नी थीं.
राज्य गठन के बाद सुशीला- सुमन ही जीत पायीं हैं चुनाव : 2004 में खूंटी से सुशीला केरकेट्टा चुनाव जीती थी. उन्होंने कड़िया मुंडा को हरा कर यह चुनाव जीता था. 2007 में जमशेदपुर से झामुमो की सुमन महतो चुनाव जीत कर आयीं.
2004 में सुमन महतो के पति सुनील महतो की हत्या कर दी गयी थी, जिसके बाद वे चुनाव जीत कर आयीं. सुमन महतो जमशेदपुर की ही रहने वाली हैं.
झारखंड से किन- किन महिलाओं ने किया प्रतिनिधित्व
ललिता राजलक्ष्मी : हजारीबाग वेस्ट से- झारखंड की पहली महिला सांसद
मंजरी शशांक : पलामू से
कमला कुमारी : पलामू से
सुमति उरांव : लोहरदगा से
रीता वर्मा : धनबाद से
अाभा महतो : जमशेदपुर से
सुशीला केरकेट्टा : खूंटी से
सुमन महतो : जमशेदपुर से

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