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स्टांप पेपर आउट ऑफ स्टॉक इ-स्टांप भी मिलना मुश्किल

पटना : जिला कोषागार में स्टांप पेपर को लेकर एक माह से समस्या बनी हुई है. रजिस्टर्ड वेंडरों के पास अब स्टांप पेपर नहीं हैं. इसके कारण निबंधन कार्यालय में इ-स्टांप को लेकर भीड़ बढ़ गयी है. रजिस्ट्री के अलावा अन्य कामों के लिए स्टांप को लेकर लोग निबंधन कार्यालय ही पहुंच रहे हैं. यहां […]

पटना : जिला कोषागार में स्टांप पेपर को लेकर एक माह से समस्या बनी हुई है. रजिस्टर्ड वेंडरों के पास अब स्टांप पेपर नहीं हैं. इसके कारण निबंधन कार्यालय में इ-स्टांप को लेकर भीड़ बढ़ गयी है. रजिस्ट्री के अलावा अन्य कामों के लिए स्टांप को लेकर लोग निबंधन कार्यालय ही पहुंच रहे हैं. यहां 15 दिनों से समस्या हो रही है. अधिक भीड़ और लोगों से विवाद के कारण इ-स्टांप काउंटर को बंद कर दिया जा रहा है.

सोमवार को निबंधन कार्यालय के इ-स्टांप काउंटर पर लोगों ने गार्ड के साथ मारपीट भी की. इसको लेकर मंगलवार को पूरे दिन निबंधन कार्यालय रजिस्ट्री के अलावा इ-स्टांप देने का काम रोक दिया गया. इस कारण सैकड़ों लोगों को परेशानी हुई. बाजार में गैर न्यायिक मसलन 10, 50, 20, 500, 1000 के स्टांप पेपर आउट ऑफ मार्केट हो चुके हैं.
इसका फायदा उठाकर फर्जी वेंडर 1000 रुपये के नकली स्टांप 600 रुपये में बेच रहे हैं. जिला कोषागार के कर्मचारी बताते हैं कि जिले में लगभग हर माह चार करोड़ के स्टांप पेपर की खपत होती है. फिलहाल कोषागार में केवल 50 व 5000 मूल्य के स्टांप पेपर उपलब्ध हैं, जबकि अन्य मूल्य के स्टांप पेपर नहीं हैं. स्टांप पेपर कोषागार से अधिकृत वेंडरों को दिया जाता है. फिर वेंडर उन्हें बाजार में बेचते हैं. इसके लिए जिले में 46 वेंडर अधिकृत हैं. वेंडर को स्टांप पेपर बेचने पर 6% कमीशन मिलता है.

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