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खदानों में बढ़ते हादसों को लेकर हुई चर्चा

सांकतोड़िया : कोल इंडिया सेफ्टी कमेटी की मीटिंग कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता में आयोजित हुई. इसमें प्रमुख तौर पर खदानों में बढ़ते हादसों को लेकर चर्चा करते हुए उस पर चिंता जताई गई. हादसों पर रोक लगाने को प्रबंधन ने जरुरी कदम उठाने के लिए अफसरों को निर्देश दिए. वहीं यूनियन नेताओं ने इस बात […]

सांकतोड़िया : कोल इंडिया सेफ्टी कमेटी की मीटिंग कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता में आयोजित हुई. इसमें प्रमुख तौर पर खदानों में बढ़ते हादसों को लेकर चर्चा करते हुए उस पर चिंता जताई गई. हादसों पर रोक लगाने को प्रबंधन ने जरुरी कदम उठाने के लिए अफसरों को निर्देश दिए. वहीं यूनियन नेताओं ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि प्रबंधन सेफ्टी के लिए आवंटित बजट की पूरी राशि भी खर्च नहीं कर पाई. यूनियन प्रतिनिधियों के हवाले से बताया गया है कि सेफ्टी के लिए कंपनियों को 55 करोड़ रुपए खर्च करने दिए गए थे, लेकिन कंपनियां 35 करोड़ की खर्च कर पाई.

वहीं नियमों की अनदेखी से होने वाले हादसों को लेकर भी एतराज जताया गया. मुख्यालय में आयोजित सेफ्टी कमेटी की 56वीं मीटिंग में प्रबंधन की ओर से सीआईएल डीपी आरपी श्रीवास्तव, डायरेक्टर टेक्निकल विनय दयाल, सीएमडी शेखर शरण, जीएम सेफ्टी एके सिंह के अलावा कोयला कंपनियों के सभी सीएमडी व जीएम सेफ्टी के अलावा यूनियन प्रतिनिधियों में बीएमएस से बीके राय, सीटू से जीके जोसेफ, सीजे जोसेफ एटक से व एचएमएस से जावेद अख्तर सहित अन्य उपस्थित रहे. सीआईएल चेयरमैन ने भी खदानों में सेफ्टी पर प्रमुखता से ध्यान देने को कहा है जिसमें ठेका कर्मचारी भी शामिल हैं. यहां भी खदान हादसों पर कमी लाने की कोशिश का दावा प्रबंधन करता है. कोल इंडिया के अधिकारियों की दो दिन पहले हुई समीक्षा बैठक में प्रबंधन ने कोल कंपनियों में खाली वैधानिक पदों को लेकर चर्चा की गयी थी.
इसके बाद सेफ्टी कमेटी की मीटिंग में भी इस पर प्रमुखता से चर्चा हुई और कोल कंपनियों में रिक्त वैधानिक पदों को भरने का निर्णय लिया गया है. सेफ्टी कमेटी की मीटिंग में इस बात पर चिंता जताई गई कि पहले जहां खदान हादसों में आउटसोर्सिंग मजदूरों की मौत का दर 18 फीसदी तक था वह बढ़कर अब 50 प्रतिशत तक पहुंच गई है. नियमित कर्मचारियों के साथ आउटसोर्सिंग कर्मियों के सुरक्षा और प्रशिक्षण पर भी जोर दिया गया.
बीएमएस के डॉ. बीके राय ने कहा कि कोल इंडिया के किसी भी सहायक कंपनी में खदान दुर्घटनाएं होती है वह प्रबंधन की अनदेखी की वजह से खदान हादसे बढ़े हैं. आउटसोर्सिंग कर्मियों को भी तय मापदंड के अनुसार सेफ्टी उपकरण नहीं दिया जाता, प्रशिक्षण भी नहीं मिलता है. प्रबंधन सेफ्टी के लिए मिलने वाली राशि को भी खर्च करने में फेल हैं. इससे नियमित व आउटसोर्सिंग कर्मियों की जान पर बन आती है. प्रबंधन को अब गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है.

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