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अनुभव जब शब्द पा जाते हैं, तो लेखनी चल पड़ती है : केशरीनाथ त्रिपाठी

– राज्यपाल ने शिवकुमार लोहिया की पुस्तक ‘मन के द्वार’ का किया विमोचन कोलकाता : साहित्य समाज का दर्पण है, जो समाज को मार्गदर्शन देने में सहायक है. अनुभव जब शब्द पा जाते हैं, तो लेखनी चल पड़ती है. कविता अनुभवों का भंडार है. किसी घटना को देखने, सुनने और महसूस करने के बाद जो […]

– राज्यपाल ने शिवकुमार लोहिया की पुस्तक ‘मन के द्वार’ का किया विमोचन

कोलकाता : साहित्य समाज का दर्पण है, जो समाज को मार्गदर्शन देने में सहायक है. अनुभव जब शब्द पा जाते हैं, तो लेखनी चल पड़ती है. कविता अनुभवों का भंडार है. किसी घटना को देखने, सुनने और महसूस करने के बाद जो तड़पन होती है, उसे एक कवि अपने शब्द देकर कविता का रूप दे देता है. मन के द्वारा काव्य संकलन का मुख्य आधार हृदय की अनुभूति है.

किसी भी व्यक्ति के भावों के साथ जब संवेदना जुड़ जाती है, तो वह रचना विभिन्न अलंकारों से सुशोभित हो जाती है. ये बातें राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने रविवार को आईसीसीआर में शिव कुमार लोहिया की पहली काव्य संकलन ‘मन के द्वार’ के विमोचन कार्यक्रम में कही. उन्होंने कहा कि श्री लोहिया ने अपने काव्य संकलन में नकारात्मकता को सकारात्मक सोच से बदलने की पहल की है.

श्री त्रिपाठी ने कहा कि पूरी काव्य संकलन मनुष्य को संस्कार, संस्कृति और प्रकृति से जुड़ने का संदेश देती है. ‘मन के द्वार’ काव्य संकलन के रचयिता व उद्योगपति शिव कुमार लोहिया ने कहा कि विचारों के बादल उमड़ते घुमड़ते हुए काव्य की रचना करा गये. उन्होंने कहा कि मानव जीवन पर साहित्य का बहुत बड़ा उपकार है. उसी समाज में आज कविताओं की अवहेलना हो रही, जिससे समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है.

श्री लोहिया ने कहा कि गहन अनुभूति के बिना कविता नहीं लिखी जा सकती. उन्होंने अपनी पुत्रवधू व उनके काव्य की पहली श्रोता सविता लोहिया को अपने पहले काव्य संकलन का श्रेय दिया. भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सीताराम शर्मा ने कहा कि कलकत्ता में सैकड़ों कवि, लेखक तैयार करने का श्रेय बंगाल के राज्यपाल को जाता है, जिन्‍होंने लेखकों को भी प्रोत्साहन देकर बड़ा कार्य करा दिया.

श्री शर्मा ने कहा कि आजकल लोग मन के द्वार खोलते नहीं, सब मन में ही रह जाता है. संवाद खत्म हो गया है. उद्योगपति व समाजसेवी नंदलाल रूंगटा ने कहा कि जीवन मन से चलता है. उन्होंने कहा कि एक कवि के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि उनका आशीर्वचन और लोकार्पण कौन कर रहा है. उद्योगपति व समाजसेवी हरिकिशन चौधरी ने कहा कि मन से जुड़ने में आज अभिभावक भी कहीं न कहीं दोषी हैं, जो बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे.

मंच का संचालन करते हुए आलोचल डॉ शंभुनाथ ने कहा कि संवेदना ठंडी बैटरी को चार्ज करती है. कविता से प्रेम करने का मतलब जीवन से प्रेम करना है. इसी में जीवन के आदर्शों व मूल्यों का सौंदर्य छिपा है. धन्यवाद ज्ञापन विकास लोहिया ने किया.

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