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पीजी करनेवाले डॉक्टरों को तीन साल की सरकारी सेवा देनी होगी अनिवार्य

शशिभूषण कुंवरपटना : स्वास्थ्य विभाग अपने दो साल पूर्व लिये गये संकल्प का अब पालन कराने जा रहा है. राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से पीजी डिग्री और डिप्लोमा उत्तीर्ण करनेवाले सभी डॉक्टरों को तीन वर्षों की आवश्यक सेवा राज्य सरकार के अधीन करने की बाध्यता को लागू कर दिया गया है. विभाग ने […]

शशिभूषण कुंवर
पटना :
स्वास्थ्य विभाग अपने दो साल पूर्व लिये गये संकल्प का अब पालन कराने जा रहा है. राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से पीजी डिग्री और डिप्लोमा उत्तीर्ण करनेवाले सभी डॉक्टरों को तीन वर्षों की आवश्यक सेवा राज्य सरकार के अधीन करने की बाध्यता को लागू कर दिया गया है. विभाग ने इस संबंध में राज्य के पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल और दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्यों से पीजी डिग्री व डिप्लोमा करनेवाले सभी विद्यार्थियों की व्यक्तिगत सूचना मांगी है.

इनकी पोस्टिंग करने की तैयारी आरंभ हो गयी है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि सरकार के संकल्प को अमल में लाया जा रहा है. किसी पीजी कोर्स करनेवाले चिकित्सक को अनिवार्य सरकारी सेवा न देने की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती. इस वर्ष पटना
मेडिकल कॉलेज अस्पताल से 47 और दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से पांच पीजी डॉक्टरों की सेवा विभाग को मिल रही है. डीएमसीएच में डिग्री कोर्स के विभिन्न विषयों में कुल 61 छात्रों का नामांकन होता है.उन्होंने कहा कि पीजी करनेवाले सभी डाक्टरों को जिला अस्पतालों में नियुक्ति की जायेगी.
सेवा नहीं देने पर 25 लाख का देना होगा हर्जाना
विभाग ने अप्रैल 2017 में यह संकल्प जारी किया था जिसमें पीजी उत्तीर्ण होने के बाद तीन वर्षों की आवश्यक सेवा राज्य सरकार के अधीन करने की बाध्यता होगी. तीन वर्षों की आवश्यक सेवा राज्य सरकार को नहीं देने की स्थिति में वैसे चिकित्सकों को 25 लाख रुपये और इस अवधि में प्राप्त वेतन की राशि एकमुश्त वापस करनी होगी. इसकी जिम्मेदारी संबंधित मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य को नामांकन के समय बांड के रूप लिया जाना अनिवार्य किया गया था.
साथ ही प्राचार्य को बांड पेपर पर साइन करने के बाद ही छात्रवृत्ति का भुगतान करना है. बांड पत्र के साथ छात्रों से उनके एमबीबीएस से संबंधित अंक पत्र व प्रमाण पत्र कॉलेज में ही सुरक्षित रहेंगे.
पीजी उत्तीर्ण होने के बाद छात्रों के एमबीबीएस व पीजी के प्रमाण पत्रों को कॉलेज में ही सुरक्षित रखा जा रहा है. राज्य सरकार के अधीन तीन वर्षों की अनिवार्य सेवा देने के बाद ही उनके बांड पेपर वापस किया जायेगा. राज्य में पीजी डिग्री की 220 और डिप्लोमा की 14 सीटें हैं. फिलहाल पीएमसीएच व डीएमसीएच से विभाग ने पीजी डॉक्टरों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
पीएमसीएच में डिग्री कोर्स के तहत कुल 73 व डीएमसीएच में कुल 61 विद्यार्थी नामांकन लेते हैं, इसमें पीएमसीएच में मेडिसीन की (10), पेडियाट्रिक की (छह), सर्जरी की (नौ), महिला प्रसूति की (सात), ऑर्थोपेडिक की तीन, नेत्र की (चार), इएनटी की (तीन), एनेस्थेसिया की (चार), एनाटॉमी की (चार), बायोकेमिस्ट्री की (दो), एफएमटी की (एक), माइक्रोबायोलॉजी की (दो), पैथोलॉजी की (पांच), फार्माकोलॉजी की (चार), पीएमआर की (एक), फिजियोलॉजी की (तीन), साइकियेट्री की (एक), पीएसएम की (एक), रेडयो डायग्नोसिस की (तीन) और स्कीन वीडी की (दो) सीटों पर डिग्री दी जाती है.

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