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सरायकेला : 64 पीढ़ियों से मां दुर्गा की पूजा करते आ रहा है राजपरिवार

।। शचिंद्र कुमार दाश ।। सरायकेला : सरायकेला राजपरिवार की 64 पीढ़ियां निर्वाध रुप से मां दुर्गा की पूजा करती आ रही है. सन् 1620 में राजा विक्रम सिंह द्वारा सरायकेला रियासत की स्थापना के बाद से ही राजमहल परिसर में मां दुर्गा की पूजा की शुरुआत की थी. सरायकेला रियासत के स्थापना से लेकर […]

।। शचिंद्र कुमार दाश ।।

सरायकेला : सरायकेला राजपरिवार की 64 पीढ़ियां निर्वाध रुप से मां दुर्गा की पूजा करती आ रही है. सन् 1620 में राजा विक्रम सिंह द्वारा सरायकेला रियासत की स्थापना के बाद से ही राजमहल परिसर में मां दुर्गा की पूजा की शुरुआत की थी. सरायकेला रियासत के स्थापना से लेकर भारत की आजादी तक सिंह वंश के 61 पीढ़ियों ने राजा के रुप में राजपाट चलाया और माता दुर्गा की पूजा की.
राजपरिवार के 61 वें पीढ़ी के अंतिम शासक राजा विक्रम सिंह भी माता के भक्त रहे हैं. सरायकेला रियासत का भारत गणराज्य में विलय के पश्चात भले ही सरकारी स्तर से सरायकेला में दुर्गा पूजा शुरु की गयी, परंतु राजमहल में पूजा बंद नहीं हुआ. आज भी यहां मां दुर्गा की पूजा पहले की तरह सादगी के साथ होता है.

देश की आजादी के पश्चात सिंह वंशज के 62 पीढ़ी के राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव व 63 वें पीढ़ी के राजा सत्य भानु सिंहदेव ने मां दुर्गा के पूजा को आगे बढ़ाया. वर्तमान में सरायकेला रियासत के राजा व सिंह वंश के 64 वें पीढ़ी के राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव इस रियासती परंपरा को आगे बढ़ा रहे है.

यहां मां भगवती की पूजा आज भी उसी परंपरा के साथ होती है, जो कभी राजा-राजवाड़े के समय हुआ करती थी. अलग-अलग नौ पत्रों को एकत्रित कर माता दुर्गा का नव पत्रिका स्वरुप तैयार किया जाता है. यहां बेलवरण से लेकर विजया दशमी तक माता की पूजा होती है. यहां खंडा पूजा के साथ साथ माता की पूजा तांत्रीक विधि से होता है. संधी बलि समेत विजया दशमी तक के सभी अनुष्ठानों का आयोजन होता है.

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