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#JharkhandResults: …और जब पारा टीचर ने भाजपा उम्मीदवार को हराया

शहरी क्षेत्र में संजीव सरदार ने की सेंधमारी देहात में मजबूत सुरक्षा घेरा नहीं भेद पायीं मेनका सरदार जमशेदपुर : पोटका से भाजपा प्रत्याशी मेनका सरदार को हैट्रिक लगाने का मौका नहीं मिला. इस सीट पर झामुमो प्रत्याशी संजीव सरदार ने इस बार कब्जा जमाया. 2014 के चुनाव में संजीव सरदार पहली बार झामुमो प्रत्याशी […]

शहरी क्षेत्र में संजीव सरदार ने की सेंधमारी

देहात में मजबूत सुरक्षा घेरा नहीं भेद पायीं मेनका सरदार
जमशेदपुर : पोटका से भाजपा प्रत्याशी मेनका सरदार को हैट्रिक लगाने का मौका नहीं मिला. इस सीट पर झामुमो प्रत्याशी संजीव सरदार ने इस बार कब्जा जमाया. 2014 के चुनाव में संजीव सरदार पहली बार झामुमो प्रत्याशी के रूप में इस सीट पर चुनाव लड़े थे. उस चुनाव में लगभग सात हजार मतों से वे पराजित हुए थे. चुनाव हारने के बाद संजीव सरदार ने जमशेदपुर प्रखंड समिति के साथ मिलकर बागबेड़ा और आसपास के शहरी क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ायी.
इसके अलावा झामुमो प्रत्याशी को इस बार गठबंधन का भी लाभ मिला. 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी दुखनी माई सरदार को लगभग 14 हजार मत मिले थे. 2019 के चुनाव में जिला परिषद की चेयरमैन बनी बुलू रानी सिंह ने भी भाजपा को झटका दिया. बुलू रानी सिंह को भाजपा के वरीय नेता का प्रत्यक्ष समर्थन मिला था, जिसके कारण वे जिप चेयरमैन बनीं. इसके बाद उन्होंने खुद को पोटका से प्रत्याशी के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया. लेकिन जब चुनाव की घोषणा जब हुई तो भाजपा ने वर्तमान विधायक मेनका सरदार को प्रत्याशी बनाया. इससे नाराज होकर बुलू रानी सिंह ने आजसू पार्टी से प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ने का फैसला किया. भाजपा को पोटका में आजसू के अलग होने का भी झटका लगा.
शहरी मतदाताओं ने इस बार भाजपा को निराश किया. गांव में जमकर मतदान हुआ, जिसका सीधा फायदा परिणाम में देखने को मिल रहा है. शहरी क्षेत्र में मतदान कम होने का सीधा नुकसान भाजपा प्रत्याशी को हुआ. शहर में मतदान का कम होना और उसमें से अधिकांश प्रतिशत झामुमो प्रत्याशी द्वारा अपने खाते में कर लिया गया. भाजपा ने भले ही शहरी क्षेत्र में लीड बनायी, लेकिन उम्मीद से कम थी. देहात में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा. इसके पीछे का कारण यह रहा है कि अकेले मेनका सरदार को ही अपने चुनावी अभियान को संचालित करना पड़ रहा था, जबकि झामुमो के पक्ष में कई तरह के समीकरण-समर्थक काम कर थे.
पारा टीचर से विधायक बने संजीव सरदार
पोटका विधानसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने शानदार जीत हासिल की है. उन्होंने 15 वर्षों से लगातार जीत रही भाजपा की मेनका सरदार को हरा दिया. इस जीत के बाद संजीव सरदार ने प्रभात खबर से बात की. जिसमें उन्होंने अपनी जीत से जुड़ी कई रोचक बातें बतायी. संजीव ने जीत के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह जीत क्षेत्र की जनता की जीत है. क्षेत्र के लोगों ने इस बार अपना समर्थन व आशीर्वाद दिया, जिसके बल पर वे पहली बार विधायक चुने गये. संजीव सरदार ने बताया कि वे पारा शिक्षक थे. पोटका के ही स्कूल में वे वर्ष 2004 से लेकर 2010 तक बच्चों को पढ़ाते थे. 2014 में भी झामुमो ने टिकट दिया था, लेकिन हार गये थे. हारने के बाद एक दिन भी घर में नहीं बैठे. हर दिन लोगों के सुख-दुख में शामिल रहे. संजीव सरदार ने कहा कि वे खुद पारा शिक्षक थे, इसलिए वे जानते हैं कि पारा शिक्षकों का दर्द क्या होता है. पारा शिक्षक ने जब अपने मानदेय बढ़ाने की मांग की, तो इसी सरकार ने उन्हें लाठी से इतना पीटा कि उनकी मौत हो गये. वे जानते हैं कि स्कूल का महत्व क्या होता है. भाजपा सरकार ने गांव के स्कूलों को बंद करवा दिया. आंगनबाड़ी सेविकाएं अपने मानदेय की मांग की, तो उन पर भी लाठी डंडे बरसाये. कहा कि क्षेत्र में विलय के नाम पर बंद किये गये सरकारी स्कूलों को खुलवाया जायेगा. संजीव सरदार ने कहा कि पोटका क्षेत्र में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है, सिर्फ शिलान्यास कर उसे छोड़ दिया गया है. अब डिग्री कॉलेज को खुलवाया जायेगा. वे गरीब परिवार से आते हैं, इसलिए गरीबों का दर्द उन्हें पता है.

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