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शेखपुरा के अंतिम नवाब मंजूर हसन खान की बेटी थीं जैबुन निशा, कुमकुम बन कर दुनिया में बनायी पहचान

शेखपुरा से रंजीत कुमार : फिल्मी दुनिया में बड़ी हस्ती कुमकुम कभी शेखपुरा जिले की लाडली जैबुन निशा बेगम के नाम से जानी जाती थीं. जैबुन निशा बेगम ने फिल्मी दुनिया में अपनी बड़ी बहन साबरा बेगम की मदद से कदम रखा था. कुमकुम की बड़ी बहन फिल्मी दुनिया में राधिका के नाम से जानी जाती हैं. मंगलवार को अचानक सोशल मीडिया के माध्यम से शेखपुरा में रह रहे परिजनों को कुमकुम के निधन की सूचना मिली. हुसैनाबाद के नवाब मंजूर हसन खान की पुत्री कुमकुम के निधन पर यहां शोक की लहर दौड़ गयी.

शेखपुरा से रंजीत कुमार : फिल्मी दुनिया में बड़ी हस्ती कुमकुम कभी शेखपुरा जिले की लाडली जैबुन निशा बेगम के नाम से जानी जाती थीं. जैबुन निशा बेगम ने फिल्मी दुनिया में अपनी बड़ी बहन साबरा बेगम की मदद से कदम रखा था. कुमकुम की बड़ी बहन फिल्मी दुनिया में राधिका के नाम से जानी जाती हैं. मंगलवार को अचानक सोशल मीडिया के माध्यम से शेखपुरा में रह रहे परिजनों को कुमकुम के निधन की सूचना मिली. हुसैनाबाद के नवाब मंजूर हसन खान की पुत्री कुमकुम के निधन पर यहां शोक की लहर दौड़ गयी.

नवाब के वंशज परिवार से आनेवाले सैय्यद असद रजा, सैय्यद कायम राजा, सैय्यद मुसी रजा फिल्म अदाकारा कुमकुम के भतीजे बताये जाते हैं. सैय्यद असद रजा ने बताया कि कुमकुम हमारी फुआ थी. उनका शेखपुरा से काफी जुड़ाव था. वे छह साल पहले भी हुसैनाबाद की बेसकीमती हवेली और मकुफे की मरम्मती के लिए राशि भेजी थी. मंगलवार को 60 के दशक की मशहूर अदाकारा का निधन मुंबई में हो गया. वे 86 वर्ष की थी. शेखपुरा के हुसैनाबाद की रहनेवाली कुमकुम का नाम यहां सभी की जुबान पर है.

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कुमकुम जिले के हुसैनाबाद नवाब मंजूर हसन खान की पुत्री थी. जिले का नाम दुनिया में रोशन करनेवाली बेटी पर सभी को नाज है. जन्म के ढाई साल बाद ही वह मुंबई चली गयी थीं. स्कूली शिक्षा के बाद वह फिल्मी दुनिया में प्रवेश कर गयी. उन्होंने सौ से ज्यादा फिल्मों में काम किया. 1963 में रिलीज फिल्म ”गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो” उनकी सुपर हिट फिल्मों में से एक है. कुमकुम ने अपने जीवन काल में ‘मदर इंडिया’, ‘सन ऑफ इंडिया’, ‘कोहिनूर’, ‘राजा और रंक’ जैसी फिल्मों में यादगार भूमिका निभायी.

कुमकुम की मौत का खबर यहां आते ही शोक की लहर दौड़ गयी. हुसैनाबाद के नवाब खानदान के वारिस असद रजा अपनी फूफी को याद कर आंसू नहीं रोक पाये. उन्होंने बताया कि उनकी फूफी के निधन की जानकारी उन्हें परिवार के किसी रिश्तेदार से प्राप्त नहीं हुई. लगातार परिवार के कई सदस्यों से संपर्क किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है.

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उन्होंने बताया कि हाल ही में दुबई से आने के बाद मुंबई में उनका इलाज चल रहा था. उन्होंने बताया कि कुमकुम हमेशा यहां के सभी लोगों का हालचाल लेती रहती थीं. कुछ साल पहले वह यहां आयी थीं. उस समय वह अपने घर और मकान को देख कर भावुक हो गयी थीं. हुसैनाबाद के अंतिम नवाब की पुत्री कुमकुम का जन्म 22 अप्रैल, 1934 में हुसैनाबाद में हुआ था. वे मृत्युपर्यंत यहां से संपर्क बना कर रखीं. उनके निधन की खबर पर जिलावासी मर्माहत हैं.

Posted By : Kaushal Kishor

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