36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

जमा देने वाली ठंड में भी भारतीय जवानों को मिलेगी ताजा सब्जियां, बर्फिली पहाडि़यों में होगी खेती

भारत- चीन सीमा पर खराब मौसम और जमा देने वाली ठंड में तैनात जवानों के भोजन पर विशेष ध्यान दिया जाता है. अब रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) यहां तैनात जवानों के लिए और बेहतर योजना बना रहा है. डीआरडीओ इस मौसम में यहां सब्जियां उगाने की योजना बना रहा है, जिसका इस्तेमाल यहां तैनात जवान कर सकेंगे.

नयी दिल्ली : भारत- चीन सीमा पर खराब मौसम और जमा देने वाली ठंड में तैनात जवानों के भोजन पर विशेष ध्यान दिया जाता है. अब रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) यहां तैनात जवानों के लिए और बेहतर योजना बना रहा है. डीआरडीओ इस मौसम में यहां सब्जियां उगाने की योजना बना रहा है, जिसका इस्तेमाल यहां तैनात जवान कर सकेंगे.

इस जगह पर ग्रीनहाउस तकनीक, शून्य ऊर्जा-आधारित तकनीक भंडारण, और माइक्रोग्रेन जैसी तकनीक की मदद से खेजी की जा सकेगी. इसके लिए शोध किया जा रहा है. हाई एल्टीट्यूड रिसर्च का रक्षा संस्थान ( (DIHAR) इस पर काम कर रहा है. इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए डिहार के निदेशक डॉ ओम प्रकाश चौरसिया ने बताया हमारा फोकस यहां ताजा सब्जियों की उपलब्धता है इस पर है.

यहां गर्मियों में डीआरडीओ हिल काउंसिल की मदद से सब्जियां उगायी जा ससकती है लेकिन अब हमारा फोसक सर्दियों में भी यहां ताजा सब्जियां उपलब्ध हों इस पर है. इसके दो तरीके हैं एक तो यहां ग्रीन हाउस की तकनीक से खेती की जा सकेगी. हम .यहां टमाटर, खूलगोभी, गोभी जनवरी के महीने में भी उगा सकेंगे. हमारे पास अंडरग्राउंड ग्रीन हाउस भी हैं. दूसरा तरीका है गर्मियों में सब्जियों के उत्पादन के लिए उचित स्थान रखना. यह जीरो एनर्जी बेस स्टोरेज टेक्नोलॉजी है. आलू, गोभी, फूलगोभी, मूली, गाजर जिले 4-5 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

Also Read: दिल्ली अदालत ने द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम्स कनविक्शन पर से हटायी रोक, आसाराम पर लिखी गयी है किताब

यहां ऑक्सीजन का लेवल कम है और भी मौसम से संबंधित कई तरह की परेशानियां है तो हमें ज्यादा पोषक सब्जियों की, खाने की जरूरत पड़ती है. हम ऐसी फसल की तैयारी में हैं जिसे आप कम खायें लेकिन उसका पोषक उसकी ऊर्जा आपको भरपूर मिले हमने इसे सुपरफूड की तरह माना है. पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पौधे का जिक्र किया था जो लेह के इलाके में मिला था इसका नाम solo’ है जिसे संजीवनी के नाम से जाना जाता है.

डॉ चौरसिया ने कहा, हिमालय जड़ी बूटियों का खजाना है. संजीवनी इसी जड़ी बूटियों में एक है जो हिमालय में मिला है. इसका वैत्रानिक नाम Rhodiola है. डिहार माइक्रोग्रीन पौधे पर काम कर रहा है जिसकी मदद से यहां इस मौसम में भी खेती संभव होगी यहां 10 से 15 दिनों में फसल तैयार किया जा सकेगा.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें