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दिल दहला देने वाली है किन्नौर हादसे की तस्वीरें, चट्टान और मलबे से पिचक गई बस, 13 लोगों की मौत, अभी भी कई फंसे

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर पहाड़ दरकने से बस समेत कई गाड़िया मलबे में दब गई हैं. हादसे में अबतक 13 लोगों की मौत हो गई है. वहीं, 40 से ज्यादा लोग अभी लापता हैं. एनडीआरएफ, आइटीबीपी, सीआइएसएफ और स्थानीय पुलिस समेत 300 जवान राहत अभियान में जुटे हैं.

  • हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में दरका पहाड़

  • नेशनल हाइवे पर गिरी चट्टान और मिट्टी

  • हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 13

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में बीते दिन पहाड़ दरकने से हुए हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है. अभी भी कई लोगों को फंसे होने की संभावना है. वहीं, हादसे के बाद तेजी से राहत और बचाव काम किया जा रहा है. लेकिन लगातार हो रहे भूस्खलन से बचाव कार्य में बाधा आ रही है. बता दें, 300 जवान राहत और बचाव कार्य में डटे हुए है.

राज्य आपदा प्रबंधन निदेशक सुदेश कुमार मोख्ता ने बताया कि गुरूवार सुबह छह बजे बचाव कार्य फिर से शुरू किया गया. उन्होंने कहा कि स्थानीय पुलिस के सदस्य, होमगार्ड, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) संयुक्त रूप से बचाव अभियान चला रहे हैं. निचार तहसील के निगुलसारी क्षेत्र के चौरा गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पांच पर बुधवार दोपहर को भूस्खलन के बाद पहाड़ से गिरे पत्थरों की चपेट में हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) की एक बस आ गई थी.

एनडीआरएफ, आइटीबीपी, सीआइएसएफ और स्थानीय पुलिस समेत 300 जवान राहत अभियान में जुटे हैं. सेना ने भी उन्हें मदद की पेशकश की है. मुख्यमंत्री ने बताया कि अब भी थोड़ा बहुत भूस्खलन हो रहा है, जिससे बचाव कार्य में काफी दिक्कतें आ रही हैं. इससे पहले किन्नौर के सांगला-छितकूल मार्ग पर 25 जुलाई को बड़ा लैंडस्लाइड हुआ था. यहां पहाड़ से पत्थर गिरने से एक टूरिस्ट वाहन चपेट में आ गया था. इसमें नौ लोगों की मौत हो गयी.

प्रधानमंत्री ने की दो लाख रुपये मदद की घोषणा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से बात की और हरसंभव मदद का भरोसा दिया. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने मृतकों के परिवार को दो लाख व घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजे की घोषणा की. केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने आइटीबीपी को बचाव कार्यों में हिमाचल सरकार को मदद देने का निर्देश दिया है.

बस चालक सुरक्षित बतायी आंखों देखी: भूस्खलन की चपेट में आयी बस के सुरक्षित बचे चालक महेंद्र पाल ने चट्टानें गिरने के खौफनाक मंजर को अपनी आंखों के सामने देखा. उन्होंने बताया कि वह बस लेकर रिकांगपिओ से हरिद्वार जा रहे थे. बस में करीब 25 यात्री सवार थे. निगुलसरी के समीप पहुंचने पर उन्होंने देखा कि पहाड़ी से चट्टानें गिर रही हैं. उसने बस को 100 मीटर पीछे ही रोक दिया. अन्य वाहन भी रुक गये जिनमें कार, अखबार की गाड़ी और ट्रक शामिल थे. चालक ने बताया कि वे और कंडक्टर पैदल सड़क पर निकले, लेकिन जैसे ही वे सड़क पर थोड़ा और आगे चले तो पीछे से चट्टानें ठीक हमारे ऊपर पहाड़ी से गिरने लगीं और सभी मलबे में दब गये.

भाषा इनपुट के साथ

Posted by: Pritish Sahay

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