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नयी किताब: बहुस्वरमयता से संपन्न कविताएं

सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी कविताएं बिना अवरोध के पढ़ी जा सकती हैं और वे सरलता के साथ-साथ बहुस्वरमयता से भी संपन्न हैं. कवि, अभिनेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता कुमार बिन्दु की कविताओं का एक लंबे अंतराल पर प्रकाशन एक महती घटना है.

कवि, अभिनेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता कुमार बिन्दु की कविताओं का एक लंबे अंतराल पर प्रकाशन एक महती घटना है. आठवें दशक के उत्तरार्ध में अपनी ताजा कविताओं से पाठकों को उद्वेलित करने वाले कुमार बिन्दु लगातार लिखते तो रहे, पर अपनी सामाजिक एवं राजनीतिक सक्रियता के कारण प्रकाशन के प्रति उदासीन रहे. अब उन कविताओं का एकत्र प्रकाशन पिछले कुछ दशकों के भावात्मक दस्तावेज के रूप में हमारे सामने है. कुमार बिन्दु की कविताएं मार्मिक, बेधक और प्रचलित मान्यताओं का ध्वंस करने वाली हैं. कवि बिन्दु केवल चित्रांकन नहीं करते या केवल भाव-प्रकाश ही नहीं करते, बल्कि पाठक को भी संपूर्ण प्रवाह में अपने साथ लिये चलते हैं, जो एक विरल कर्म है.

उनकी स्वाभाविक और सहज प्रतिबद्धता दलितों एवं पिछड़ों के प्रति है, जिनके जीवन के कुछ अविस्मरणीय बिंब प्रस्तुत करते हुए वे समस्त व्यवस्था और सत्ता को चुनौती देते हैं. इस अर्थ में वे वर्तमान साहित्यिक परिदृश्य के महत्वपूर्ण कवियों में सहज ही गिने जा सकते हैं. कुमार बिन्दु ने अनेक प्रकार की और अनेक स्वरों की कविताएं रची हैं, जिनका उद्बोधन हमें भीतर तक तिलमिला देता है. वे बेहद प्रयोगशील और साहसिक कवि हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी कविताएं बिना अवरोध के पढ़ी जा सकती हैं और वे सरलता के साथ-साथ बहुस्वरमयता से भी संपन्न हैं. भोजपुरी की आंतरिक शक्ति से आविष्ट इन कविताओं के साथ बहुत दिनों के बाद हमारे बीच से एक ऐसे कवि का पुनः आगमन हो रहा है, जिसकी कविताएं नितांत अनूठी हैं और उसका कविकर्म अद्वितीय है. मुझे पूरी आशा है कि सहृदय पाठक इस कविता संकलन का स्वागत करेंगे.

साझे का संसार (काव्य संग्रह) /कुमार बिन्दु / अभिधा प्रकाशन, मुजफ्फरपुर, बिहार

– अरुण कमल

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