39.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

‘सू की’ की पार्टी कभी भी हो सकती है भंग, म्यांमा की जेल में बंद है श्रीराम कॉलेज की पूर्व छात्रा

म्यांमा की आंग सान सू की ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज से वर्ष 1964 में राजनीति शास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की है. इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट ह्यूग कॉलेज से वर्ष 1969 में दर्शन शास्त्र, राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की.

नई दिल्ली/रंगून : भारत के दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली म्यांमा की अपदस्थ नेता आंग सान सू की के नेतृत्व वाली राजनीतिक पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) को मंगलवार की दरम्यानी आधी रात को सेना की ओर से नियुक्त चुनाव आयोग द्वारा स्वत: विघटन का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उसने एक योजनाबद्ध आम चुनाव के लिए पंजीकरण करने से इनकार कर दिया था, जिसे उसने दिखावा बताया था.

मंगलवार की आधी रात को पार्टी हो सकती है भंग

म्यांमा की अपदस्थ नेता आंग सान सू की के नेतृत्व वाली राजनीतिक पार्टी को मंगलवार आधी रात को सेना द्वारा नियुक्त चुनाव आयोग द्वारा स्वचालित विघटन का सामना करने की उम्मीद है. आलोचकों का कहना है कि सेना द्वारा शासित देश में चुनाव न तो स्वतंत्र और न ही निष्पक्ष होंगे, जिसने स्वतंत्र मीडिया को बंद कर दिया है और सू की के नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया है.

चुनाव की किसी को उम्मीद नहीं

पार्टी के एक पूर्व विधायक बो बो ओओ ने कहा कि हम बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करते हैं कि चुनाव ऐसे समय में होगा, जब कई राजनीतिक नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है और लोगों को सेना द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है. करीब 77 साल की सू की सेना द्वारा लाए गए राजनीतिक रूप से दागी मुकदमों की एक सीरीज में दोषी ठहराए जाने के बाद कुल 33 साल जेल की सजा काट रही हैं.

नवंबर 2020 में एनएलडी को मिली थी शानदार जीत

उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने से रोकने के लिए आरोप लगाए गए थे. पार्टी ने नवंबर 2020 के आम चुनाव में शानदार जीत हासिल की, लेकिन तीन महीने से भी कम समय के बाद सेना ने आंग सान सू की और सभी निर्वाचित सांसदों को संसद में अपनी सीट लेने से रोक दिया और उनकी सरकार समेत पार्टी के शीर्ष सदस्यों को हिरासत में ले लिया.

सेना का चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप

सेना ने कहा कि उसने बड़े पैमाने पर चुनावी धोखाधड़ी के कारण कार्रवाई की. हालांकि, स्वतंत्र चुनाव पर्यवेक्षकों को कोई बड़ी अनियमितता नहीं मिली. वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग, जिन्होंने अधिग्रहण का नेतृत्व किया और अब म्यांमा के टॉप नेता हैं. उनके कुछ आलोचकों का मानना ​​है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वोट ने उनकी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को विफल कर दिया.

मतदान की तारीख निर्धारित नहीं

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नए मतदान के लिए कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई है. सेना की अपनी योजनाओं के अनुसार, जुलाई के अंत तक नई तारीख के ऐलान करने की उम्मीद थी, लेकिन फरवरी में सेना ने चुनाव कराने की संभावित कानूनी तिथि में देरी करते हुए अपने आपातकाल की स्थिति के अप्रत्याशित छह महीने के विस्तार की घोषणा की. सेना ने कहा कि सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया जा सकता है. सेना देश के बड़े क्षेत्रों को नियंत्रित नहीं करती है, जहां उसे अपने शासन के लिए व्यापक सशस्त्र प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है.

क्या चाहती है म्यांमार की जनता

ब्रसेल्स स्थित इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप थिंक टैंक द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 के तख्तापलट के बाद सरकारी उत्पीड़न के बीच कोई भी चुनाव विश्वसनीय नहीं हो सकता है. खासकर, जब अधिकांश आबादी 2020 में आंग सान सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की भारी जीत को दबाने के लिए एक सनकी प्रयास के रूप में वोट देखती है. चुनाव लगभग निश्चित रूप से तख्तापलट के बाद के संघर्ष को तेज करेंगे, क्योंकि शासन उन्हें मजबूर करना चाहता है और प्रतिरोध समूह उन्हें बाधित करना चाहते हैं.

सेना ने बनाया अपना कानून

सैन्य सरकार ने जनवरी में एक नया राजनीतिक दल पंजीकरण कानून बनाया, जिससे विपक्षी समूहों के लिए अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को गंभीर चुनौती देना मुश्किल हो गया. यह न्यूनतम स्तर की सदस्यता और उम्मीदवारों और कार्यालयों जैसी शर्तों को निर्धारित करता है कि सेना और उसके साथियों के समर्थन के बिना किसी भी पार्टी को मिलना मुश्किल होगा. खासकर, दमनकारी राजनीतिक माहौल में ऐसा करना तो और भी मुश्किल है.

आंग सान सू की ने डीयू के श्रीराम कॉलेज से की हैं पढ़ाई

बताते चलें कि म्यांमा की अपदस्थ नेता आंग सान सू की ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज से वर्ष 1964 में राजनीति शास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की है. इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट ह्यूग कॉलेज से वर्ष 1969 में दर्शन शास्त्र, राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की. स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने न्यूयॉर्क में अपने एक पारिवार दोस्त के यहां रहते हुए करीब तीन साल तक संयुक्त राष्ट्र में अपनी सेवाएं दी हैं. इसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ओरिएंटल और अफ्रीकन स्टडीज से वर्ष 1985 में पीएच.डी की उपाधि हासिल की.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें