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Atique Ahmed: IPC की वह कौनसी है धारा, जिसके तहत माफिया डॉन अतीक अहमद को मिली उम्रकैद की सजा

उमेश पाल अपहरण मामले में प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज अतीक अहमद सहित तीनों अभियुक्तों को दोषी पाए जाने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है

उमेश पाल अपहरण मामले में प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट ने आज अतीक अहमद सहित तीनों अभियुक्तों को दोषी पाए जाने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अतीक और उसके भाई की पेशी के लिए सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई. कोर्ट परिसर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गई. और कोर्ट को छावनी में तब्दील कर दिया गया. वहीं उमेश पाल की पत्नी और मां ने मीडिया से बातचीत करते हुए मांग किया कि अतीक अहमद को कोर्ट फांसी की सजा सुनाए.

उमेश पाल अपहरण मामले में हुई है सजा

उमेश पाल अपहरण मामले की सुनवाई को लेकर अतीक अहमद को गुजरात के साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया. तो वहीं उसके भाई अशरफ को बरेली सेंट्रल जेल से प्रयागराज लाया गया. दोनों भाइयों को नैनी जेल के हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया. आरोप है कि 28 फरवरी 2006 को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह उमेश पाल को पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसका भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ अपने साथियों के साथ अपहरण कर अपने कार्यालय में ले गए थे. उमेश पाल ने अतीक अहमद सहित पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया था. आज प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट ने 364 A, 120 B के तहत माफिया अतीक अहमद, उसके करीबी शौकत हनीफ, दिनेश पासी को दोषी करार दिया. वहीं अतिक के भाई अशरफ समेत अन्य को दोषमुक्त कर दिया.

क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 364A?
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कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का अपहरण या अगवा करता है या अपहरण करने के बाद उस व्यक्ति को अपने हिरासत में रखता है और उस व्यक्ति को मौत या चोट पहुंचाने की धमकी देता है, या उसके आचरण से किसी व्यक्ति को यह आशंका पैदा होती है कि वह व्यक्ति उसको मौत की घाट या चोट पहुंचा सकता है. किसी व्यक्ति को सरकार या किसी विदेशी राज्य या अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन या किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी कार्य को करने या फिरौती देने के लिए मजबूर करता है. या अपहरण व्यक्ति को चोट या मृत्यु का कारण बनता है तो उस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 364 A तहत कार्रवाई होती है. यह एक ग़ैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है. इस मामलें में दोषी अभियुक्त को मौत की सजा या आजीवन कारावास और साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है, यह सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है.

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